पिछले कुछ दिनों से मोबाइल नेट्वर्क कम्पनी वोडाफ़ोन और idea की मुश्कि’लें बढ़ती नज़र आ रही हैं। इन कम्पनियों पर भारी एजीआर बा’क़ी है ये वो शुल्क है जो सरकार दूरसंचार कम्पनी से लेती है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार, वोडाफोन आइडिया पर करीब 53 हजार करोड़ रुपए का एजीआर बकाया है। कंपनी ने अब तक दूरसंचार विभाग को महज 3,500 करोड़ रुपए का ही भु’गतान किया है। अपने घाटे से उब’रने के लिए और बकाए का जल्द से जल्द भुग’तान करने के लिए कम्पनी ने नया क़दम उठने का फ़ै’सला किया है।
आपको बता दें वोडाफ़ोन और idea ने सरकार से माँग की है कि उन्हें सेवा शुल्क बढ़ाने की इजा’ज़त दी जाए। कम्पनी चाहती है कि 1 अप्रेल से उन्हें मोबाइल डेटा का शुल्क न्यूनतम 35 रुपए प्रति गीगाबाइट (जीबी) तथा न्यूनतम 50 रुपए का मासिक कनेक्शन शुल्क निर्धारित हो जबकि यह मौजूदा दर का करीब सात-आठ गुना है। यही नहीं कम्पनी कॉल सेवाओं में भी बद’लाव करना चाहती है और उन्होंने माँ’ग की है कि एक निर्धारित मासिक शुल्क के साथ कॉल सेवाओं के लिए छह पैसे प्रति मिनट की द’र तय की जाए।
अभी मोबाइल डेटा की दरें 4-5 रुपए प्रति जीबी है। कंपनी ने एजीआर बकाये के भुग’तान के लिए 18 साल की समय सीमा की मां’ग की है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा है कि उसे ब्याज व जु’र्माने के भुग’तान से 3 साल की छू’ट भी मिलनी चाहिए। एक अधिकारी ने कहा कि “वोडाफोन आइडिया ने परिचालन में बने रहने के लिए सरकार से कई मां’गें की है। कंपनी चाहती है कि एक अप्रैल 2020 से मोबाइल डेटा का शुल्क न्यूनतम 35 रुपए प्रति गीगाबाइट (जीबी) तथा न्यूनतम 50 रुपए का मासिक कनेक्शन शु’ल्क निर्धा’रित हो। ये काफी क’ठिन मां’गें हैं और इन्हें मा’न पाना सरकार के लिए सम’स्या है। कम्पनी का कहना है कि शुल्क बढ़ाने से ही वो उस स्तर पर पहुँच सकती है जैसे वो 2015-16 में थी।