उत्तराखंड: कांवड़ यात्रा में शिव-शक्ति पर भारी TRP और नेता भक्ती, देखें तस्वीरें

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देहरादून: कांवड़ यात्रा भगवान शंकर के भक्तों की आस्था और त्याग की यात्रा है। लेकिन, श्रद्धा और भक्ति के साथ होने वाली कांवड़ यात्रा में कई तरह के हुड़दंगी लोग भी आने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों में कई तरह के विवाद भी सामने आए। जबकि 26 जुलाई (आज) रुड़की में मुजफ्फरनगर और हरियाणा के कांवड़ियों के बीच मारपीट हो गई। हरियाणा के कांवड़ियों ने एक युवक को पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना के अलावा 26 जुलाई को ही दो और बातों की चर्चा भी रही। बल्कि, इनकी बात हत्या वाली घटना से ज्यादा हुई है।

ये दो मामले राजनीति से जुड़े थे। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मीडिया और सोशल मीडिया में भी दूसरी यानी राजनीति की चर्चा ज्यादा कर रहा है। दरअसल, एक तरफ महिला और बाल विकास मंत्री रेखा आर्य अपनी टीआरपी के लिए ऋषिकेश से हरिद्धार तक कांवड़ उठाकर निकली।

उनका कहना है इससे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए यह सब किया गया है। मंत्री सड़क पर पैदल चल रही थी, तो जाहिर है, प्रशासनिक और संबंधित विभाग के अधिकारी सेवा में हाजिर रहे। सवाल यह है कि कांवड़ उठाने से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का क्या नाता है। कहीं, दूर-दूर तक कोई वास्ता नजर नहीं आता। हां टीआरपी के लिए जरूर सही है।

राजनीति की एक और दूसरी चर्चा में रही घटना यह है कि हरिद्वार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की फोटो लगाकर कांवड़ यात्रा निकाली गई। सही मायनों में कहा जाए तो यह शिव भक्तों की नहीं। बल्कि, नेता भक्तों की कांवड़ यात्रा थी।

क्या नेताओं की नजरों में आने के लिए तरह की सस्ती राजनीति की जानी चाहिए? क्या इस तरह की धार्मिक यात्राओं में प्रायोजित कांवड़ यात्रा निकाला सही है? यह प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की तस्वीर लगी भाजपा प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर की कावड़ आकर्षण का केंद्र रही। हरिद्वार से कांवड़ यात्रा सहसपुर पहुंची।

हरिद्वार में गंगा स्नान के लिए सोमवार शाम को सहसपुर के महादेव प्राचीन शिव मंदिर से भाजपा प्रवक्ता और कार्यकर्ताओं की एक टोली खुद को शिव भक्त बताकर स्नान के लिए निकले। लेकिन, उनकी कांवड़ पर भगवान शंकर की जगह पीएम मोदी और सीएम धामी की तस्वीरें लगी थी। इस यात्रा की अगुवाई भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर ने की। इससे एक बात तो साफ है कि यह पूरी तरह से राजनीतिक और प्रायोजित कांवड़ यात्रा थी।