जोशीमठ: जगद्गगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने केंद्र और राज्य सरकार से जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर तैयार की गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है। जोशीमठ में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भू-धंसाव के संदर्भ में विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की गई थी, जिसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है।
जगद्गगुरू शंकराचार्य ने कहा कि रिपोर्ट को तत्काल सार्वजनिक किया जाना चाहिए, जिससे आम जनता को भी वास्तविक स्थिति का पता चल सके। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोशीमठ आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की भी मांग की है।
उन्होंने हेलंग-मारवाड़ी बाईपास का काम पर तुरंत रोक लगाने की मांग को भी दोहराया। जगद्गगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जोशीमठ भगवान बदरीनाथ जी का शीतकालीन पूजा स्थल होने के साथ भगवत्पाद आदि शंकराचार्य जी का गददी स्थल भी है। शीतकाल में बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने पर शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में आती है
पौराणिक परंपरानुसार भगवान बदरीनाथ के दर्शन से पूर्व तीर्थयात्रियों को भगवान नृसिंह मंदिर और शंकराचार्य गद्दी का दर्शन करना चाहिए। यह परंपरा सदियों चली आ रही है। यदि यात्रियों को हेलंग बाईपास से सीधे बदरीनाथ भेजा जाएगा तो इससे तीर्थयात्री नृसिंह भगवान और शंकराचार्य जी की गद्दी के दर्शन का लाभ नहीं लै पाएंगे। इससे सदियों से चली आ रही परंपरा समाप्त हो जाएगी और इसका धार्मिक महत्व समाप्त हो जाएगा, एक परम्परा का भी लोप हो जाएगा।
शंकराचार्य ने हाल के दिनों में राज्य के कई इलाकों में सामने आई घटनाओं पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर हिन्दू नाबालिगों के साथ हो रहे कृत्यों पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। उत्तरकाशी जनपद के पुरोला के अलावा देवभूमि में हाल ही में हुई घटना चिंताजनक हैं। उत्तराखंड देव भूमि है और यहां इस तरह के कृत्य अक्षम्य हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृति न हो इसके लिए सरकार की ओ से ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।
अनादि काल से ही लोग यहां ज्ञान ध्यान, अध्ययन और शांति के लिए आते हैं। यह ऋषि मुनियों की कर्म स्थली और तपःस्थली है। ऐसे में इस पवित्र स्थल में आए दिन इस तरह की घटनाओं से सनातन धर्मावलंबी आहत हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि मास्टर प्लान के नाम पर बदरीनाथ धाम की मर्यादा और स्थापित परम्पराओं को खत्म ना करें। बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान का कार्य गतिमान है। वर्तमान समय द्वितीय चरण का कार्य किया जा रहा है। अवगत कराना है कि नारायण पर्वत में बदरीनाथ जी का मंदिर स्थित है। मंदिर के आस-पास मास्टर प्लान का काम किया जा रहा है।
मंदिर से ही कुछ मीटर की दूरी पर दो प्राचीन जलधाराएं हैं। जिन्हें कूर्म धारा और प्रहलाद धारा के नाम से जाना जाता है। परंपरानुसार बदरीनाथ जी के है। मुख्य पुजारी रावल का अभिषेक कूर्म धारा के जल से किए जाने की परंपरा है। मास्टर प्लान के कार्यों को करते हुए धाम से जुड़ी हुई परंपराओं के साथ छेड़खानी नहीं होनी चाहिए। परंपराएं अक्षुण रखी जानी चाहिए।
साथी जोशीमठ का नाम ज्योतिर्मठ किये जाने का शासनादेश जारी करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि 2021 में जोशीमठ का नाम बदलकर ज्योतिर्मठ करने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज तक इसका शासनादेश जारी नहीं किया गया है।