उत्तराखंड: कमीशन का रायता है…कि खत्म ही नहीं हो रहा, पूर्व CM तीरथ सिंह रावत ने खोल दी पोल

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देहरादून: कमीशनखोरी के बगैर उत्तराखंड में कोई काम ही नहीं होता। यह बात के आरोप अक्सर लगते रहे हैं। लेकिन, इमानदारी का ढोल पीटने वाली सरकारों के नेता हमेशा से ही इस बात से इंकार करते आए हैं। जबकि, कमीशनखोरी की नींव रखने वाले यही नेता हैं।

सरकार के मंत्री अगर सख्त हों, तो किसी अघिकारी की जमाल नहीं कि एक ढेला भी इधर से उधर हो जाए। कमीशनखोरी के इस खेल का खुलासा अब गढ़वाल सांसद और पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने किया है। उन्होंने सीधेतौर पर ना सही, लेकिन अपनी ही सरकार पर निशाना साधा है।

पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत का भ्रष्टाचार को लेकर दिया बयान चर्चाओं में है। अपने बयान में तीरथ सिंह रावत ने कहा है कि उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद उत्तराखंड में कमीशनखोरी जीरो पर होनी चाहिए थी, लेकिन यह और ज्यादा हो गई।

पूर्व सीएम ने कहा कि बहुत जगह बताते हैं कि कहीं भी बिना कमीशन कुछ नहीं होता। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं होती है कि जब हम उत्तर प्रदेश में थे, तब वहां 20 प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। अलग होने के बाद हमको कमीशनखोरी छोड़कर जीरो पर आना चाहिए था, उत्तराखंड में भी 20 प्रतिशत कमीशनखोरी शुरू हो गई।

पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत अपने बयानों के लिए आलोचनाएं भी झेल चुके हैं। लेकिन, इस बार उन्होंने जो बयान दिया है। उसकी लोग खूब तारीफ भी कर रहे हैं। और कहीं ना कहीं यह भी कह रहें कि उन्होंने अपनी सरकार के साथ ही प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों की पोल खोलकर रख दी है।

उन्होंने कहा कि जब तक लोगों में यह भाव नहीं आएगा कि यह मेरा प्रदेश है, मेरा परिवार है, तब तक कमीशनखोरी दूर नहीं होगी। उनके इस बयान से सियासी पारा भी चढ़ता नजर आ रहा है। उनका बयान सोशल मीडिया में तेजी से वायरल भी हो रहा है।