अंतिम नक्सली के आत्मसमर्पण के साथ नक्सल मुक्त हुआ ये गांव

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बेंगलुरु: कर्नाटक ने नक्सलवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर हासिल किया है। राज्य ने शनिवार को अपने अंतिम नक्सली के आत्मसमर्पण के साथ नक्सलवाद के विरुद्ध एक महत्वपूर्ण विजय प्राप्त की है।

चिक्कमगलुरु के पुलिस अधीक्षक (एसपी) विक्रम आमटे ने यह घोषणा की कि कोटेहोंडा रवींद्र नामक नक्सली के आत्मसमर्पण के बाद, अब राज्य को आधिकारिक तौर पर नक्सल मुक्त घोषित किया जा सकता है।

कौन है कोटेहोंडा रवींद्र?

44 वर्षीय रवींद्र कर्नाटक के शृंगेरी तालुक के पास कोटेहोंडा गांव का निवासी है। वह वर्षों से जंगलों में रहकर नक्सली गतिविधियों में संलग्न था। सुरक्षा बलों की कड़ी रणनीति और सरकार की पुनर्वास नीति के तहत उसने आत्मसमर्पण का निर्णय लिया।

कैसे हुआ आत्मसमर्पण?

रवींद्र शुक्रवार को शृंगेरी में एसपी विक्रम आमटे के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए पहुंचा। इसके बाद उसे उपायुक्त मीना नागराज के पास ले जाया गया, जहां आत्मसमर्पण की औपचारिक प्रक्रिया पूरी की गई।

कर्नाटक की नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई

कर्नाटक में नक्सलवाद 1980 के दशक से सक्रिय था, विशेष रूप से चिक्कमगलुरु, दक्षिण कन्नड़ और उडुपी जिलों के घने जंगलों में इसका प्रभाव देखा गया। राज्य सरकार और पुलिस बलों ने वर्षों तक इस खतरे के खिलाफ अभियान चलाया।

नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकारी पुनर्वास योजनाओं का भी प्रभाव पड़ा, जिसके तहत कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और सामान्य जीवन जीने लगे।

सरकार और पुलिस का बयान

एसपी विक्रम आमटे ने कहा, यह कर्नाटक पुलिस और सुरक्षा बलों के लिए गर्व का क्षण है। वर्षों की कड़ी मेहनत और रणनीति के बाद हम राज्य को नक्सल मुक्त बनाने में सफल हुए हैं। अब यहां शांति और विकास की नई राह खुलेगी।”

उपायुक्त मीना नागराज ने कहा,

“राज्य सरकार नक्सलवाद प्रभावित लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए हरसंभव सहायता दे रही है। रवींद्र का आत्मसमर्पण इस दिशा में एक और बड़ा कदम है।”

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