इन दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई एक याचिका पर काफी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। ये याचिका भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अयोध्या इकाई के मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह ने दायर की है। इस याचिका में कोर्ट से ताज महल के 22 बंद कमरों का सर्वे करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि इन्हीं बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर मौजूद है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि याचिकाकर्ता को पहले इतिहास पढ़ने की जरूरत है।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस डीके उपाध्याय और सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने याचिका पर कहा कि “हमने पाया कि याचिका में नियम 226 के तहत ताजमहल के इतिहास के संबंध में अध्य्यन की मांग की गई है। इसके अलावा ताजमहल के अंदर बंद दरवाजों को खोलने की मांग की गई है। हमारी राय है कि याचिकाकर्ता ने पूरी तरह से गैर-न्यायसंगत मुद्दे पर फैसला देने की मांग की है। इस अदालत द्वारा इन याचिकाओं पर फैसला नहीं किया जा सकता है।”
अदालत ने आगे कहा कि “जहां तक ताजमहल के कमरे खोलने की मांग है, हमारा मानना है कि इसमें एक नियमित प्रक्रिया के तहत ऐतिहासिक शोध हो सकता है। हम इस रिट पिटिशन को स्वीकार नहीं कर सकते हैं।” कोर्ट ने आगे कहा कि आज आप ताजमहल के दरवाजों को खोलने की मांग कर रहे हैं। कल आप जज कहेंगे कि मुझे जज के चेंबर तक जाना है। याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि “इतिहास क्या आपके मुताबिक पढ़ा जाएगा? आप पहले ये सब पढ़िए कि ताजमहल कब बना,किसने बनवाया, कैसे बनवाया. इससे आपका कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है।”