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बंद पड़े खातों पर भी मिलेगा ब्याज, लाभान्वित होंगे करोड़ों लोग

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने एक अप्रैल से निष्क्रिय यानी बंद पड़े खातों पर ब्याज देने का फैसला किया है। सरकार के इस फैसले से नौ करोड़ खाताधारकों को लाभ होगा जिसमें 32,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं।

बीते दिन ही सरकार की ओर से कर्मचारी भविष्य निधि कोष के निष्क्रिय खातों पर भी ब्याज देने की स्वीकृति मिल गई है। केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारु दत्तात्रेय ने मंगलवार को कहा कि ईपीएफ के निष्क्रिय खातों पर ब्याज देने का फैसला कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की 212वीं बैठक में लिया गया है।

ईपीएफओ का निर्णय लेने वाला शीर्ष निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) ने इस आशय का निर्णय किया। सीबीटी के अध्यक्ष श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय हैं। सीबीटी की बैठक के बाद दत्तात्रेय ने कहा, ‘संप्रग सरकार ने निष्क्रिय खातों पर ब्याज देना बंद कर दिया था।

अब हमने कर्मचारियों के हित में फैसला किया है।’ उन्होंने कहा, हमने अब निष्क्रिय पड़े खातों में ब्याज देने का फैसला किया है। लिहाजा ऐसे में अब कोई भी खाता निष्क्रीय नहीं होगा, क्योंकि उस पर भी ब्याज मिलेगा। दत्तात्रेय ने यह भी कहा कि निष्क्रिय खातों पर ब्याज का भुगतान एक अप्रैल से लागू किया जाएगा।

आपको बता दें कि निष्क्रिय खाते वे हैं जहां 36 महीने से कोई योगदान नहीं आ रहा है। गौरतलब है कि पहले ईपीएफओ की ओर से 1 अप्रैल 2011 से ऐसे खातों पर ब्याज देना बंद कर दिया था। इसका मकसद इन निष्क्रिय खातों में कोष ईपीएफओ के पास छोड़े रखने को लेकर लोगों को हतोत्साहित करना था। लेकिन अब सरकार ने सभी को निष्क्रीय खाताधारकों की समस्याओं को ध्यान में रखकर ये फैसला लिया है। सरकारी प्रतिभूतियों में ईपीएफओ का निवेश 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के प्रस्ताव के बारे में पूछे जाने पर श्रम सचिव शंकर अग्रवाल ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय इस बारे में पहले ही निर्णय कर चुका है।’

क्या एस्सार के रुइया बंधु भी विजय माल्या की राह पर हैं?

विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस पर बैंकों के नौ हजार करोड़ रु के बकाया का आंकड़ा इसके आगे कहीं छोटा दिखता है. द इकॉनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई में 30 बैंक एस्सार स्टील से अपना 40 हजार करोड़ रु वसूलने के लिए जूझ रहे हैं. खबर के मुताबिक इन बैंकों ने कंपनी को अल्टीमेटम दे दिया है वह उधार चुकता करना शुरू करे वरना मैनेजमेंट में जबरन बदलाव के लिए तैयार रहे.

बताया जाता है कि एस्सार स्टील को यह चेतावनी बैंक अधिकारियों और कंपनी मैनेजमेंट के लोगों के बीच एसबीआई के मुंबई स्थित मुख्यालय में हुई एक बैठक में दी गई. कंपनी को उधार देने वाले 30 बैंकों ने एक संयुक्त कर्जदाता मंच (जेएलएफ) बनाया हुआ है. इन बैंकों का एस्सार स्टील पर 40 हजार करोड़ रु का कर्ज है. इसमें सबसे बड़ा हिस्सा एसबीआई (5400 करोड़) का है.

एस्सार स्टील के दिन कुछ समय से अच्छे नहीं चल रहे. कंपनी पर स्टील के दामों में आई कमी और चीन से हो रही जरूरत से ज्यादा सप्लाई की मार पड़ रही है. यही वजह है कि मुंबई में हुई बैठक में उसने बैंकों से अपने कर्ज को रीकास्ट यानी इसे चुकाने के लिए एक नई व्यवस्था बनाने का अनुरोध किया. इसमें कर्ज चुकाने के लिए दी गई मोहलत बढ़ाना शामिल है. उसका यह भी कहना है कि बीते कुछ समय के दौरान गैस के घटते दामों, खर्च कम करने के उपायों और स्टील के दामों में आ रही तेजी के चलते उसकी हालत अब सुधर रही है.

हालांकि बैंक एस्सार स्टील के प्रबंधन को कोई रियायत देने के मूड में नहीं हैं. उन्होंने प्रबंधन से कहा है कि वह जल्द से जल्द अपने पल्ले से कंपनी में कम से कम तीन हजार करोड़ की पूंजी डाले. एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि और शशि रुइया भारत के धनकुबेरों में शामिल हैं. फोर्ब्स के मुताबिक दोनों भाइयों की कुल संपत्ति 38 हजार करोड़ रु के करीब है.

बीते कुछ समय से रिजर्व बैंक का बैंकों पर कड़ा दबाव है कि वे बकाया न देने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें और मार्च 2017 से पहले अपने खाते ठीक कर लें. बैंकों की बैलेंस शीट अर्थव्यवस्था का मिजाज भी बताती है. यही वजह है कि रिजर्व बैंक के मुखिया रघुराम राजन बार-बार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गिरती सेहत पर चिंता जता चुके हैं. बीते कुछ समय से बैकिंग क्षेत्र में सुधारों की सुगबुगाहट चल रही है. इनमें एसेट रीकंस्ट्रक्शन एजेंसी (एआरए) का गठन और छोटे बैंकों का बड़े बैंकों में विलय शामिल है.

बीते दिनों खबर आई थी कि सार्वजनिक क्षेत्र के 29 बैंकों ने पिछले तीन साल के दौरान 1.14 लाख करोड़ रु की रकम बट्टे खाते में डाल दी. यानी इस कर्ज के बारे में उन्होंने मान लिया कि अब इसकी वसूली नहीं हो सकती. जब तक ऐसे कर्ज की वसूली की उम्मीद होती है तब तक उसे बैड लोन कहा जाता है. आरबीआई के मुताबिक मार्च 2012 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में बैड लोन का आंकड़ा 15, 551 करोड़ रु था. लेकिन अगले तीन साल के दौरान यानी मार्च 2015 तक यह तीन गुना से भी ज्यादा होकर 52, 542 करोड़ हो गया.

माओवादी अब 'अन'लकी ड्रा के जरिये बच्चों की भर्ती कर रहे हैं

झारखंड में इन दिनों माओवादी लॉटरी सिस्टम के जरिये बच्चों की भर्ती कर रहे हैं. द हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक उग्रवादियों की यह नई रणनीति सुरक्षा बलों द्वारा बीते कुछ समय के दौरान उनके खिलाफ चलाए गए तेज अभियान का नतीजा है जिसके चलते उनके लड़ाकों की तादाद काफी कम हुई है.

आदिवासी इस ‘अन’लकी ड्रा से परेशान हैं.

बताया जाता है कि गुमला के जामटी, बोरहा, निराशी, कुमारी, रेहलदाग और कटिया जैसे इलाकों में माओवादियों ने अपना भर्ती अभियान तेज कर दिया है. यह सीपीआई (माओवादी) के प्रभाव वाला इलाका है. रिपोर्ट के मुताबिक वे गांव वालों को जमा करते हैं. इसके बाद जिनके एक से ज्यादा बच्चे हैं उनके और उनके बच्चों के नाम चिट में लिखे जाते हैं. सभी चिटों को एक बर्तन में डाल दिया जाता है. इसके बाद ड्रॉ होता है. यानी तय संख्या में इन चिटों को निकाला जाता है और जिसका नाम इन पर लिखा होता है उसे माओवादी अपने साथ ले जाते हैं चाहे वह लड़का हो या लड़की.

माओवादियों का कहना है कि लॉटरी का यह तरीका इसलिए है कि कोई उनके खिलाफ किसी पूर्वाग्रह का आरोप न लगा सके. उनके मुताबिक मां-बाप अपनी इच्छा से बच्चों को सौंपने के लिए तैयार नहीं थे इसलिए उन्होंने यह तरीका अपनाना शुरू कर दिया है.

माओवादी बाल दस्ते पहले भी रखते रहे हैं. वे अक्सर यह भी कहते रहे हैं कि लोग अपने बच्चों को स्वेच्छा से उन्हें देते हैं. पारंपरिक रूप से इन बच्चों का इस्तेमाल कंप्यूटर ट्रेनिंग या इसी तरह के दूसरे कम जोखिम वाले कामों के लिए ही होता रहा है. लेकिन जब से उग्रवादियों ने बच्चों को हथियार थमा कर उन्हें लड़ाई में इस्तेमाल करना शुरू किया है और उन पर लड़कियों के यौन शोषण के आरोप लगने लगे हैं तो अब कोई भी नहीं चाहता कि उनके बच्चे किसी माओवादी गुट में शामिल हों.

रिपोर्ट के मुताबिक इस नए लॉटरी सिस्टम ने ग्रामीणों में डर पैदा कर दिया है. कई लोग अब 12 से 19 साल की उम्र के अपने बच्चों को दूसरे राज्यों में रह रहे अपने रिश्तेदारों के पास भेज रहे हैं. यही वजह है कि माओवाद से प्रभावित गांवों में कोई किशोर अब मुश्किल से ही दिखता है.

38 साल के फांडू मुंडा गुमला में छिपकर रहते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक उनका कहना है कि माओवादी नेता सिल्वेस्टर ने जबरन उनकी बेटी संजीता को उठा लिया था. संजीता की उम्र तब 11 साल थी. बाद में उसे गुरिल्ला फाइटर बना दिया गया. मुंडा बताते हैं कि छह साल बाद संजीता ने जब वह जिंदगी छोड़कर फिर से नई शुरूआत करनी चाही तो माओवादियों ने उस पर पुलिस का मुखबिर होने का इल्जाम लगाया और उसकी हत्या कर दी.

अतीत में माओवादी नेता इससे इनकार करते रहे हैं कि वे बच्चों को लड़ाका बनाने के लिए उनकी भर्ती करते हैं. कुछ समय पहले एक माओवादी गुट के प्रवक्ता दीनबंधु का कहना था, ‘हम 16 साल से कम उम्र वाले बच्चों को कभी हथियार नहीं देते.’ लेकिन गांव वाले इससे इससे इनकार करते हैं. वे कहते हैं कि जिन परिवारों में एक से ज्यादा बच्चे हैं उन्हें माओवादी धमकी देते हैं कि वे अपनी मर्जी से कम से कम एक बच्चा उन्हें दे दें

सूत्रं के मुताबिक गांव वाले डर के मारे माओवादियों की कारगुजारियों की शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं करते इसलिए पुलिस के पास भी बच्चों की जबरन भर्ती से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं है. पुलिस का भी कहना है कि उसे इस लॉटरी सिस्टम के बारे में कोई जानकारी नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक गुमला के एसपी भीमसेन टूटी कहते हैं, ‘माओवादियों ने निश्चित रूप से गांववालों पर अपने बच्चों को उन्हें देने के लिए दबाव बढ़ा दिया है. लेकिन हमारे पास इस बारे में कोई सूचना नहीं है कि वे लॉटरी के जरिये बच्चों को ले जा रहे हैं.’

टूटी की अगुवाई में पुलिस ने बीते हफ्ते तीन दिनों तक प्रभावित गांवों में सघन अभियान चलाया था. लेकिन जल्द ही माओवादी फिर लौट आए. अब गांव वाले मांग कर रहे हैं कि उनके यहां पुलिस के स्थायी कैंप लगाए जाएं.

असम में मुख्यमंत्री पद के भाजपा उम्मीदवार का अतीत एक नया चुनावी मुद्दा बन सकता है

कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच असम चुनाव में एक नया मुद्दा तेजी से उठ रहा है. भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सरबानंद सोनोवाल का कथित दागदार अतीत अब यहां अचानक चर्चा में है. पिछले हफ्ते उल्फा के एक धड़े ने दावा किया है कि सोनोवाल असम में दो ‘गुप्त हत्याएं’ करवाने में शामिल रहे हैं.

इस आरोप के बाद से भाजपा कुछ हद तक रक्षात्मक मुद्रा में दिख रही है. पार्टी का कहना है कि उल्फा कांग्रेस की मदद कर रहा था और इन आरोपों से उसे ही फायदा होना है. भाजपा के प्रवक्ता बिजान महाजन कहते हैं, ‘कांग्रेस उल्फा की मदद लेकर झूठ-मूठ के आरोप लगा रही है. मुझे यह ठीक नहीं लगता कि आप उस मुद्दे पर स्पष्टीकरण दें जो एक अंडरग्राउंड संगठन उठा रहा है और जो संविधान के दायरे में रहकर काम नहीं करता.’

जहां तक कांग्रेस की बात है तो वह इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने की बात खारिज कर चुकी है. प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता रितुपर्णो खोंवार कहते हैं, ‘हम इसे कोई मुद्दा नहीं बना रहे हैं, यह लोगों और मीडिया पर निर्भर करता है.’

उल्फा-इंडिपेंडेंट, जिसका नेतृत्व अलगाववादी नेता परेश बरुआ कर रहे हैं, ने पिछले हफ्ते मीडिया में एक वक्तव्य जारी करके सोनोवाल पर आरोप लगाया था कि वे 1997 में चुनाव के ठीक पहले सामाजिक कार्यकर्ता संजॉय घोष की हत्या में शामिल थे. इसके अलावा 1986 में एक छात्र नेता सौरव बोरा की हत्या में भी सोनोवाल का हाथ था. अलगावगादी गुट का दावा है कि इन दोनों हत्याओं में सोनोवाल ने उल्फा की मदद ली थी और कांग्रेस के एक पूर्व नेता हिमंता बिस्वा सर्मा जो फिलहाल भाजपा में शामिल हो चुके हैं, भी इन हत्याओं में सोनोवाल का साथ दिया था.

सोनोवाल ने 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले शपथपत्र में जानकारी दी थी कि वे ‘उन अपराधों में आरोपित हैं जिनमें दो या दो से ज्यादा साल की सजा हो सकती है.’ बिजान महाजन जो भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता होने के साथ-साथ वकील भी हैं, बताते हैं कि बाद के सालों में सोनोवाल पर चल रहे मुकदमे खत्म हो गए थे. वे बताते हैं, ‘सीबीआई ने इस मामले में एक रिपोर्ट दाखिल की थी और उसे सोनोवाल के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था. निचली अदालत में उनके खिलाफ आरोप तय हुए थे लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था.’

सोनोवाल 1990 के दशक में ऑल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के सदस्य थे. आसू के बैनर तले उस दौर में एक बड़ा छात्र आंदोलन खड़ा हुआ था और बाद में सोनोवाल संगठन के अध्यक्ष भी बने. इसके बाद वे असम गण परिषद और फिर भाजपा में शामिल हुए.

सौरव बोरा के साथ वे भी डिब्रुगढ़ विश्वविद्यालय के छात्र रहे हैं. सौरव की 1986 में हत्या हो गई थी और 1988 में यह केस सीबीआई को सौंप दिया गया. सोनोवाल इस हत्या के पांच मुख्य आरोपितों में थे.

सामाजिक कार्यकर्ता संजॉय घोष की उस समय हत्या हुई जब वे माजुली में चल रही एक परियोजना से जुड़े थे. ब्रह्मपुत्र का यह नदी sद्वीप सोनोवाल का विधानसभा क्षेत्र है.

इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस उल्फा से किसी भी तरह की मदद लेने से इनकार कर रही है. पार्टी का कहना है कि वह खुद 1990 के दशक में अलगाववादी समूहों के निशाने पर रही है.

भारतीय जासूस' के बयान को भारत ने किया खारिज, वीडियो पर उठाए सवाल

भारत और पाकिस्तान के बीच मंगलवार को तब वाकयुद्ध शुरू हो गया जब पाकिस्तानी सेना ने गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के एक पूर्व अधिकारी का एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने अपने देश के इशारे पर बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का कथित इकबालिया बयान देने का दावा किया। हालांकि, भारत ने इस आरोप को खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि हो सकता है कि उन्हें ईरान से अपह्त कर लिया गया हो।

भारत ने साथ ही पाकिस्तान से भारतीय नागरिक को दूतावास तक पहुंच मुहैया कराने की मांग की है।

पाकिस्तानी सेना के इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असीम बाजवा और संघीय सूचना मंत्री परवेज राशिद ने वीडियो जारी करने के लिए इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन किया। उन्होंने कहा कि कुलभूषण यादव ने अशांत बलूचिस्तान प्रांत में संकट पैदा करने के लिए भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ के लिए काम करने की बात स्वीकार की है।

विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में मंगलवार रात जारी एक बयान में कहा, हमने पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी का जारी वीडियो देखा है, जो ईरान में व्यापार कर रहे थे तथा जो अस्पष्ट परिस्थितियों में पाकिस्तान की हिरासत में हैं। वीडिया में यह व्यक्ति जो बयान दे रहा है उसका वास्तव में कोई आधार नहीं है। व्यक्ति जो यह दावा करता है कि वह ये बयान अपनी इच्छा से दे रहा है, न केवल सहज विश्वास को चुनौती देता है बल्कि स्पष्ट तौर पर सिखाये जाने का संकेत करता है।

बयान में कहा गया है, सरकार इन आरोपों को सिरे से खारिज करती है कि यह व्यक्ति हमारे इशारे पर पाकिस्तान में विध्वंसकारी गतिविधियों में लिप्त था। हमारी जांच से यह खुलासा होता है कि ईरान से एक वैध व्यापार संचालित करने के दौरान उसे परोक्ष रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।

इसमें कहा गया है, हम जहां इस पहलु की आगे भी जांच कर रहे हैं, अब उसकी पाकिस्तान में मौजूदगी के साथ ही ईरान से उसके अपहरण की आशंका सवाल खड़े करती है। यह तभी स्पष्ट होगा जब हमें उस तक दूतावास पहुंच मुहैया करायी जाए तथा हम पाकिस्तान सरकार से आग्रह करते हैं वह हमारे अनुरोध पर तत्काल जवाब दें।

बयान में आगे कहा गया है, यहां यह ध्यान देना प्रासंगिक है कि हमारे अनुरोध के बावजूद हमें किसी विदेशी देश में हिरासत में रखे गए एक भारतीय नागरिक तक दूतावास पहुंच मुहैया नहीं करायी गई है जो एक स्वीकार्य अंतरराष्ट्रीय प्रथा है।

यादव के मामले का उल्लेख करते हुए बाजवा ने भारत पर पाकिस्तान में राज्य प्रायोजित आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान में भारत के हस्तक्षेप का इससे स्पष्ट सबूत नहीं हो सकता।

पाकिस्तान का दावा है कि यादव ने ईरान के चाबहार में एक छोटा कारोबार खड़ा किया था और कराची तथा बलूचिस्तान में पाक विरोधी गतिविधियों को निर्देशित किया।

बाजवा ने राशिद के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और कबाड़ कारोबारी के रूप में गदानी में काम कर रहा था।

इंटरनेट स्पीड में सबसे पीछे भारत, औसत कनेक्शन स्पीड 2.8 एमबीपीएस

एशिया प्रशांत क्षेत्र में इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत सबसे पीछे है। कंटेंट डिलीवरी नेटवर्क अकामई टेक्नोलॉजीस द्वारा जारी 2015 की चौथी तिमाही स्टेट ऑफ द इंटरनेट रिपोर्ट के मुताबिक एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत की सबसे कम औसत कनेक्शन स्पीड 2.8 एमबीपीएस है, जबकि फिलीपींस की स्पीड 3.2 एमबीपीएस है।

यह रिपोर्ट अकामई के इंटेलीजेंट प्लेटफॉर्म द्वारा इंटनेट कनेक्शन स्पीड, ब्रॉडबैंड एडोप्शन रेट, मोबाइल कनेक्टीविटी और अटैक ट्रैफिक जैसे मानकों पर जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत की औसत इंटरनेट स्पीड 36 फीसदी बढ़ी है। इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत की दुनिया में रैंक 114 है।

दुनिया के साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे तेज औसत कनेक्शन स्पीड 26.7 एमबीपीएस के साथ साउथ कोरिया सूची में पहले स्थान पर है। 17.4 एमबीपीएस के साथ जापान दूसरे और हांगकांग 16.8 एमबीपीएस के साथ तीसरे स्थान पर है। टॉप-5 की सूची में में सिंगापुर और ताईवान भी शामिल हैं।

कहां बंटा होता है दिमाग का सर्वर

हम रोजाना बहुत से ऐसे काम करते हैं जिनके लिए हमें कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ती। जैसे सुबह उठकर ब्रश करना, चाय पीना, अख़बार पढ़ना। रोज करने से हमें कुछ कामों की ऐसी आदत पड़ जाती है कि इनमें जरा भी दिमाग नहीं लगाना पड़ता। हम ये काम कैसे, करने लगते हैं, हमारे दिमाग़ के सर्वर में ये बात अच्छे से फीड हो जाती है। कई बार कुछ काम तो ऐसे होते हैं जिन्हें हम आंखें बंद करके भी निपटा सकते हैं जैसे सांस लेना, पानी पीना। दिमाग के भीतर फैले तंत्रिकाओं के जाल, हमारी इन आदतों को काबू करते हैं।

वहीं कुछ नए काम करने के लिए, नई आदत डालने के लिए हमारे दिमाग को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। रोजाना की प्रैक्टिस से हम इन नई चीजों की आदत डाल लेते हैं। कम वक्त लगता है। वैज्ञानिकों ने हमारे दिमाग के काम करने को दो हिस्सों में बांटा है। चेतन दिमाग या कॉन्शस माइंड और अवचेतन मन। जो काम हम रोज़ाना करते हैं वो हमारे अवचेतन मन में अच्छे से बैठ जाते हैं। वहीं किसी भी नए काम को करने के लिए हमारे कॉन्शस माइंड को मेहनत करनी पड़ती है। दुनिया भर में कई वैज्ञानिक ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अवचेतन दिमाग से काम करने की अहमियत हमारे लिए क्या है? हम इसका कैसे फायदा उठा सकते हैं।

न्यूरोसाइंटिस्ट डेविड ईगलमैन ने बीबीसी के लिए अभी हाल में इस बारे में एक टीवी सीरीज़ की थी। ईगलमैन ने कप को तरतीब से लगाने में दस साल के रिकॉर्ड होल्डर ऑस्टिन नेबर के साथ मुक़ाबला किया। इस दौरान दोनों के दिमाग़ पर ईईजी यानी इलेक्ट्रोएनसेफेलोग्राफ़ी के ज़रिए नज़र रखी जा रही थी।
ऑस्टिन ने चुटकी बजाते, महज़ पांच सेकेंड में कप्स को कई बार तरतीब से लगा दिया। वहीं ईगलमैन को इसके लिए अच्छी ख़ासी मेहनत करनी पड़ी। इस मुक़ाबले के दौरान ऑस्टिन का दिमाग़ एकदम शांत था जबकि ईगलमैन के ज़ेहन में ख़लबली मची हुई थी। वजह साफ़ थी। क़रीब तीन साल के अभ्यास से ऑस्टिन के दिमाग़ को कप्स को तरतीब से लगाने की आदत हो चुकी थी। लिहाज़ा उसके दिमाग़ को कोई मेहनत नहीं करनी पड़ी। काम भी चुटकी बजाते हो गया। वहीं ईगलमैन के लिए ये करना बिल्कुल नया तजुर्बा था। इसलिए उनके दिमाग़ को अच्छी ख़ासी मशक़्क़त करनी पड़ी। फ़र्क़ ये था कि ऑस्टिन कप सजाने का काम अवचेतन मन से कर रहा था। ईगलमैन यही काम कॉन्शस माइंड से कर रहे थे। उनके ज़ेहन को अभी इसकी आदत नहीं हुई थी कि वो आंख मूंदकर ये काम कर सकें।

रोज़मर्रा के बहुत से काम हम ऐसे ही, अवचेतन दिमाग़ से करते हैं। जैसे कोई बल्लेबाज़, तेज़ रफ़्तार बाउंसर को हिट करके छक्का मारता है। क्योंकि अगर खिलाड़ी को इसकी आदत नहीं होगी, वो चेतन मन या कॉन्शस माइंड से ये काम करेगा तो जब तक उसका हाथ, तेज़ी से आती गेंद को मारने के लिए उठेगा, तब तक तो गेंद उसका जबड़ा तोड़ चुकी होगी।

खिलाड़ियों को इसलिए बार-बार अभ्यास की ज़रूरत होती है। ताकि उनके दिमाग़ में खेल खेलने की प्रक्रिया अच्छे से बैठ जाए। वैसे हम बहुत से ऐसे काम करते हैं जिनके बारे में हमें पता नहीं होता कि ये अवचेतन दिमाग़ से कर रहे हैं। बहुत से महीन काम हम ऐसी ही दिमाग़ी हालत में करते हैं। जैसे विपरीत लिंग वाले साथी को लुभाने का काम, गणित के सवाल हल करने का काम या अपनी सियासी विचारधारा बनाने का काम। ये सभी अवचेतन दिमाग़ से ही होता है। इसके लिए हमारे दिमाग़ को ज़्यादा कोशिश नहीं करनी होती।

वैज्ञानिकों में इस बात को लेकर बहस छिड़ी है कि क्या जागृत या कॉन्शस माइंड में कुछ करने की क़ाबिलियत भी होती है? क्योंकि अक्सर हमारे दिमाग़ को बहुत चीज़ों का एहसास तब होता है जब सारे ज़माने को ख़बर हो जाती है। बरसों से डिज़ाइनर्स और विज्ञापन बनाने वाले, हमारे अवचेतन दिमाग़ को कंट्रोल करते रहे हैं किसी भी प्रोडक्ट को बेचने के लिए। उसके प्रति हमारे मन में चाव पैदा करके। इस अवचेतन दिमाग़ी हालत की वजह से ही हम शहर में सावधानी से गाड़ी चलाते हैं, कई बार ज़्यादा शराब भी पी जाते हैं। अगर हम अपने दिमाग़ में कोई भी बात अच्छे से बैठा दें तो आगे चलकर बहुत से फ़ैसले लेने में, कई काम करने में हमें दिमाग़ नहीं लगाना पड़ेगा। हम ऑटोमैटिक तरीक़े से वो काम कर डालेंगे। इसका फ़ायदा नशे के शिकार लोगों की लत छुड़ाने में लेने की कोशिश की जा रही है। इंसानी दिमाग़ की पड़ताल करने वाले अब इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि हमारे दिमाग़ का एक बड़ा हिस्सा अवचेतन या नॉन कॉन्शस रहता है।

मतलब हमारे शरीर के इस सर्वर में वो बातें डली रहती हैं जो हम आदतन करते हैं। और कॉन्शस माइंड या जगा हुआ दिमाग़, बचा हुआ बेहद छोटा हिस्सा ही होता है। इन बातों का मतलब साफ़ है। हमें कोई काम अच्छे से करना है तो रोज़ाना प्रैक्टिस से हमें उसे अपने अवचेतन मन में गहरे बैठा देना होगा। फिर वो काम करने के लिए ज़्यादा दिमाग़ लगाने की ज़रूरत नहीं होगी।..आप भी कोशिश कीजिए।

रुलाने वाली है 'प्यासा' बनने के पीछे की कहानी

गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ को हिन्दी सिनेमा इतिहास की दुर्लभ फिल्मों में से एक है। फिल्म की पढ़ाई होने वाले संस्‍थानों में इसे भगवान की तरह पूजते हैं। इसके बनने में एक वेश्या का बहुत बड़ा योगदान है। इसके बारे में फिल्म के लेखक अब्रार आल्वी किताब ‘टेन ईयर्स विद गुरुदत्त’ में बड़े ही विस्तार से और भावनात्मक तरीके से बताते हैं।

एक दिन अब्रार से उनके कॉलेज के दिनों के कुछ दोस्त मिलने आए। उन्हें लेकर समुद्र किनारे निकल गए। वहां कुछ बातचीत के बाद तीन लड़कियां पेश की गईं। उनमें दो पंद्रह-सोलह साल की थी और तीसरी अट्ठाइस-उनतीस साल की। अब्रार से उनमें एक चुनने के लिए कहा गया। अब्रार बताते हैं कि तब वह इन मामलों में ‘अनाड़ी’ थे। उनकी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। दोस्तों की जिद थी कि कोई एक चुननी पड़ेगी मजबूरी में अब्रार ने बड़ी उम्र की औरत की ओर इशारा किया।

अब्रार बताते हैं कि इस पर वह औरत भौंचक्की रह गई। उसने परेशान होकर कहा, ‘इन कमसिन कलियों के होते हुए, मुझे’। हालांकि फिर शाम ढली, रात आई, जैसे रात जवान होती गई, उनके सारे दोस्त समुद्र किनारे लड़कियां लेकर निकलते गए। लेकिन अब्रार वहीं उस औरत के साथ एक कुटीर में बैठे रहे, उससे बात करने पर पता चला उसका नाम, ‘गुलाबो’ है।

फिल्म ‘प्यासा’ में गुलाबो की पहली झलक भ्रामक है। वह अपनी पीछ कैमरे की ओर किए खड़ी होती है, एक महीन, पारदर्शी साड़ी में लिपटी। जैसे फिल्‍म आगे बढ़ती है, गुलाबो का चरित्र खुलकर सामने आता है। वह एक पारंपरिक सड़कछाप वेश्या है। लेकिन उसमें एक गरिमा छिपी है साथ ही उस शायर के लिए प्रेम और सम्मान भी। यह कोई कोरी कल्पना नहीं। उस रात के बाद अब्रार और गुलाबो के बीच पनपे रिश्ते की असल कहानी है।

अब्रार एक लेखक थे। स्वभावतन लेखक किस्म के आदमियों को जिंदगियों की अनुभव खींचते हैं। उस रात जब अब्रार को उनके दोस्त गुलाबों सौंप कर रंगरेलिया मनाने में व्यस्त हो गई, तब अब्रार ने उस औरत से लगातार बातें करते रहे। सुबह करीब छह बजे जब अब्रार के दोस्तों को आया तो वह वहां से तत्काल चले जाना चाहते थे। लेकिन अब्रार का मन था कि उन्हें उसी कार में बिठाया जाए, जिसमें गुलाबो को बैठाया जा रहा है, ताकि वह उससे थोड़ी और बात कर सकें।

अब्रार बताते हैं कि इन सब के बीच अचानक गुलाबो ने अचानक मेरी कलाई पकड़कर कहा, ‘मेरे साथ चलो ना, कुछ देर और साथ रहेगा’‌। मैंने कहा, ‘कार में इतनी जगह नहीं है कि सब अट पाएं’, तो उसने कहा, ‘मेरी गोद में बैठ जा ना बुद्धू’ और हंसने लगी। किताब लिखे जाने तक अब्रार की अच्छी खासी उम्र हो चली थी, लेकिन उनकी यादयाश्त की दाद देनी पड़ेगी। उन्हें पूरी तरह से याद था। गुलाबो का घर बस स्टेशन के बाद पहली गली यानि तेली गली के पास गुलाबो का निवास था। उसका कोठा मुर्गी गली में था।

उस एक रात में अब्रार ने गुलाबो के साथ शारीरिक संबंध तो नहीं बनाए थे, लेकिन उन्होंने गुलाबो को इतना आकर्षित कर लिया था कि गुलाबो ने खुद ही उनसे आगे मिलने के तरीके ढूंढ़ने लगी थी। एक दिन अब्रार उसके निवास स्‍थान पर उससे मिलने गए तो एक लड़की ने बहाना बनाकर उन्हें गुलाबो से रोकने की कोशिश की। लेकिन गुलाबो ने उसे सुन लिया और शेरनी की तरह उस पर झपट्टा मार पड़ी। एक-दूसरे नोचते-खरोचते गुलाबो ने अब्रार का हा‌‌थ पकड़ा और एक टैक्सी में बैठ गई।

कुछ देर बाद एलिफिंस्टिन रोड स्थित एक इमारत के सामने टैक्सी रोकवाई। अब्रार के पास टैक्सी वाले को देने को पैसे भी नहीं थे। अब्रार बताते हैं कि उन्होंने खुद को बेहद असहाय महसूस किया। वहां हल्की और फीकी रोशनी थी और कमरे में बस एक ही बिस्तर था। दोनों बैठकर बातें करने लगे। तभी कोई दरवाजा खटखटाने लगा। अब्रार की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। लेकिन गुलाबो ने दौड़कर दरवाजा खोला। सामने वाले शख्स ने उसे अखबार में लिपटी हिन्दुस्तानी व्हिस्की का एक पौवा दिया।

अब्रार कहते हैं कि उस रात पीते-पिलाते और बातें करते उन्होंने ऐसी गुलाबो देखी जो पहले कभी नहीं देखी थी। वह कहते हैं, ‘मुझे याद है कि बातों के बीच में मैंने एक बार गालियों की झड़ी लगा डाली। जिसे सुनते ही गुलाबो ने आगे झुककर मेरे मुंह पर हाथ रख दिया। अरे ये क्या, क्यों मुझे रोक रही हो! उसने मुझे एक पल के लिए देखा और अपना सिर दीवार की तरफ घुमाते हुए अपने हाथों से अपनी आंखें बंद करते हुए दिल पर लगने वाली बात बोली।’

गुलाबो ने अब्रार से कहा, ‘मैं एक गिरी हुई लड़की हूं, एक वेश्या, पर तुम तो ऐसी नहीं। तुम्हारे मुंह से ये अपशब्द शोभा नहीं देते।’ बाद पता चला गुलाबो जन्म से वेश्यावृति के धंधे में नहीं थी। वह मजबूरन इस धंधे में आई थी। उसका जन्म एक हिन्दु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसका नाम, ‘देवी’ था। किशोरावस्था में एक मनमोहक हृष्टपुष्ट सिपाही पर उसका दिल आ गया। उसी के चक्कर में वह घर छोड़कर भाग गई। लेकिन भागने के बाद पता चला वह पहले से शादीशुदा है।

बेघर और विवशता की हालत में वह इधर-उधर भटक रही थी। तभी एक कोठे वाली मौसी की नजर उस पर पड़ी। और वही से वो ‘देवी’, ‘गुलाबो’ हो गई। एक तरफ गुलाबो खुलती गई। दूसरी तरफ अब्रार ‘मिस्टर एंड मिसिज 55’ में व्यस्त होते गए। उन दिनों को याद करते हुए अब्रार बताते हैं, ‘मुझे कभी-कभी ऐसा लगता था कि मैं गुलाबो पर कठोर हो रहा था, उसकी मित्रता को गंभीरता से नहीं ले रहा था।’ कुछ सोचकर अब्रार धीरे कहते हैं, ‘कुछ भी हो उस समय की सच्चाई यही थी। आज अगर जब मैं उन दिनों को याद करता हू तो मेरा मन ग्लानि से भर जाता है’। क्या हुआ इसके बाद गुलाबो का।

कई दिनों अपनी शूटिंग में व्यस्त रहने के बाद एक दिन अचानक जब अब्रार गुलाबो से मिलने पहुंचे तो एक लड़के ने उन्हें रोका, ‘मेरी मां बहुत बीमार है। पिताजी उसे डॉक्टर के पास ले गए हैं। वह जल्दी ही आती होगी। उसने मुझसे कहा था कि आप आ सकते हैं। वह चाहती थी उसके आने तक आप रुको।’

कुछ देर बाद वो आ गई। कुछ बातों के बाद अब्रार जाने लगे। इस पर अचानक उनको देखा और बोली, ‘तुम अब नहीं आओगे न। अब तुम व्यस्त हो चले हो। तुम अपनी गुलाबो को भूल जाओगे। जब कभी भूले भटके मुझसे मिलने आओगे तब बहुत देर हो चुकी होगी।’ असल में उसे टीबी हो गई थी।
एक दिन अब्रार उससे मिलने को व्याकुल हुए। वह उसी इलाके से बस से गुजर रहे थे। उन्होंने बाहर झांक देखा गुलाबो की शव यात्रा गुजर रही थी। पता नहीं क्या उसके चेहरे को नहीं ढका गया था।

एक दिन घर में बैठकर अब्रार ने अपने दिल की ये टीस बस यूं ही गुरुदत्त को सुनाई। गुरुदत्त कहानी पर संम्मोहित हो गए। उन्होंने इस पर फिल्म बनाने की ठान ली। फिल्म बनाते वक्त इसमें आवश्यकतानुसर जोड़-घटाव किए गए। लेकिन मूल कहानी प्यासा की यही से उपजी। फिल्म में कुछ पंक्तियां तो हूबहू वैसी की वैसी रखी गई जैसी गुलाबो के मुंह से निकली थीं।

'वन नाइट स्टैंड'में सनी लियोनी ने तोड़ दी बोल्डनेस की हदें

सनी लियोनी की आने वाली फिल्म ‘वन नाइट स्टैंड’ का टीजर रिलीज किया गया है। सनी फिल्म में बेहद बोल्ड दिखी हैं। उन्होंने इस फिल्म में जो सीन किए हैं, वो उनकी पुरानी फिल्मों के सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाले हैं।

सनी लियोनी की फिल्म ‘वन नाइट स्टैंड’ के नाम से ही साफ है कि फिल्म का विषय बोल्ड होगा। फिल्म के पोस्टर रिलीज के साथ भी फिल्म के बोल्ड होने का प्रमाण मिला। अब फिल्म के टीजर ने तो बोल्डनेस की हदें तोड़ दी हैं।

सनी लियोनी और तनुज वीरवानी की मुख्य भूमिकाओं वाली ‘वन नाइट स्टैंड’ एक ऐसे जोड़े की कहानी है, जो मिलते हैं और एक-दूसरे के नाम तक सही से पूछे बिना सेक्स करते हैं।

एक रात के सेक्स के बाद दोनों अलग हो जाते हैं। मगर इसके बाद भी लड़का लड़की को भूलता नहीं। इस पर लड़की साफ करती है कि वो एक रात के लिए मिले थे इस रिश्ते को आगे मत बढ़ाओ।

इसके बाद भी दोनों के बीच नजदीकी बढ़ती रहती है। लेकिन जब दोनों पास आते हैं, तो दोनों में झगड़े होने लगते हैं।
फिल्म में बिना ज्यादा पहचान के एक रात के लिए संबंध बनाने और फिर अपने रास्ते चल देने की कहानी है। फिल्म में दिखाया गया है कि एक रात के लिए सेक्स करने के लिए बिस्तर पर आना और फिर अपने रास्ते चल देना क्या है। इस तरह के रिश्तों में परेशानी क्या आती है।

फिल्म की चर्चा इसके हॉट सीन को लेकर हो रहा है। टीजर में सनी लियोनी अपने चिर-परिचित अदांज में बेहद मादक लग रही हैं।

कोहली की करिश्माई पारी ने खोला टीम इंडिया के लिए सेमीफाइनल का 'दरवाजा'

मोहाली में महिला टीम की हार के बाद उसी मैदान पर विराट कोहली के बल्ले ने ऐसा आग उगला कि कंगारू टीम के सारे आक्रमण धरे के धरे रह गए। एक तरह से नॉकआउट कहे जाने वाले इस मुकाबले में टीम इंडिया ने कोहली के चमत्कारिक प्रदर्शन की बदौलत ऑस्ट्रेलिया को 5 गेंद शेष रहते 6 विकेट से हराते हुए लगातार दूसरी बार सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया।

पिछली बार की उपविजेता रही टीम इंडिया ने सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए दमदार खेल दिखाया और ऑस्ट्रेलिया से मिले 161 रनों के लक्ष्य के जवाब में भारत ने 19.1 ओवर में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया। कोहली एक बार फिर जीत के नायक बने और उन्होंने 51 गेंदों में 9 चौके और 2 छक्के की मदद से अविजित 82 रनों की पारी खेली। साथ ही उन्होंने कप्तान धोनी के साथ पांचवें विकेट के लिए 67 रनों की अटूट साझेदारी की। जीत का चौका धोनी के बल्ले से निकला। कप्तान ने 9 गेंदों में 14 रन बनाए।

अब सेमीफाइनल में टीम इंडिया का मुकाबला वेस्टइंडीज से 31 मार्च को होगा। जब‌कि वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल मुकाबला बुधवार 30 मार्च न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के बीच होगा। मोहाली में पहले बल्लेबाजी करते हुए कंगारू टीम ने 6 विकेट पर 160 रन बनाए। उसकी ओर से ऐरोन फिंच ने 43 रनों की सबसे बड़ी पारी खेली।

हार्दिक पांड्या ने 2 विकेट झटके जबकि अपना अंतिम अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे शेन वाटसन ने भी 23 रन देकर 2 विकेट लिए। ऑस्ट्रेलिया के बाहर होने से वाटसन का अंतरराष्ट्रीय करियर यहीं पर खत्म हो गया। उन्होंने इस मैच से पहले ही ऐलान कर दिया था कि इस टी-20 वर्ल्ड कप के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लेंगे।

सेमीफाइनल में जाने के लिए मिले 161 रनो के जवाब में भारतीय ओपनिंग जोड़ी ने अच्छी शुरुआत दी। शिखर धवन ने पहले ओवर में अपनी पहली गेंद पर चौका जड़ा। तीसरे ओवर में धवन ने हेजलवुड की गेंद पर छक्का लगाया। अगले ओवर में रोहित ने भी मैच में अपना पहला चौका घुमाया। लेकिन चौ‌थे ओवर में वह (13) कैच आउट हुए।

पहला विकेट गिरने के बाद विराट कोहली ने आते ही लगातार दो चौके लगाए। कुछ ही देर में रोहित शर्मा (12) कंगारू गेंदबाज शेन वॉटसन की गेंद पर बोल्ड हुए। इसके बाद सुरेश रैना (10) ने एक चौका लगाया। लेकिन कंगारू ऑलराउंडर वॉटसन की घातक गेंद का शिकार हो गए।
12 वें ओवर में विराट कोहली ने टीम की ओर से दूसरा छक्का लगाया। अगले ओवर में युवराज के छक्के ने मोहाली के मैदान की रौनक बढ़ा दी। चोटिल होने के चलते युवराज मैदान में काफी संघर्ष करते हुए नजर आए। 14 वें ओवर में उन्होंने अपना विकेट गंवाया। दोनों के बीच चौथे विकेट के लिए 45 रनों की साझेदारी हुई। युवराज 21 के स्कोर पर वॉटसन के शानदार कैच का शिकार हुए।

उनके बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी क्रीज पर पहुंचे। धोनी के चौके ने भारत के 100 रन पूरे किए। फिर कोहली ने अपने बल्ले की हनक दिखाई और 17 वें ओवर में फिफ्टी पूरी की। अगले ओवर की पहली दो गेंदों पर कोहली ने दो ताबड़तोड़ चौके और अगली गेंद पर एक छक्का लगाया। अब 12 गेंदों पर भारत को जीत के लिए 20 रनों की जरुरत थी। पहली गेंद डॉट जाने के बाद कोहली ने 19 वें ओवर की दूसरी, तीसरी और चौ‌थी गेंद पर ताबड़तोड़ तीन चौके जड़े। आखिरी गेंद पर भी कोहली ने चौका लगाया। आखिर ओवर में कप्तान धोनी के चौके ने टीम इंडिया की जीत में मुहर लगा दी।

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम की बल्लेबाजी बेहद आक्रामक रही। हालांकि पहले ओवर में भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने कंगारू ओपनर उस्मान ख्वाजा को एक ही चौका दिया लेकिन अगले ओवर में ख्वाजा ने जसप्रीत बुमराह को नहीं बख्‍शा और उनके ओवर में चार ताबड़तोड़ चौके जड़ दिए। तीन ओवर में 32 रन लुटाने के बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने चौथे ओवर में ही फिरकी गेंदबाज आर अश्विन को उतार दिया।
अश्विन को भी कंगारूओं ने नहीं छोड़ा और उनके पहले ही ओवर में एेरोन फिंच ने लगातार दो छक्के जड़ दिए। ऑस्ट्रेलियाई टीम महज चौ‌थे ओवर में ही 50 रन का आंकड़ा पार कर गई। लेकिन पांचवें ओवर में टीम की वापसी कराते हुए नेहरा ने ख्वाजा (26 रन, 6 चौके) को विकेट के पीछे कैच आउट कराकर चलता किया। पहले झटके के बाद भारतीय गेंदबाजों ने कंगारू बल्लेबाजों पर दबाव डालना शुरू किया। तीसरे नंबर पर डेविड वॉर्नर पहुंचे। दूसरी सफलता अश्विन ने डेविड वॉर्नर (6) को आउट कर दिलाई।

युवराज ने अपनी पहली ही गेंद पर कंगारू कप्तान स्टीव स्मिथ (2) को आउट कर भारत की झोली में तीसरी सफलता डाली। 13 वें ओवर में फिंच (43) ने हार्दिक पांड्या की गेंद पर चौका जड़कर टीम के 100 रन पूरे किए। हालांकि अगली गेंद पर वह बाउंड्री पर कैच आउट हो गए। 17 वें ओवर में तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने खतरनाक लग रहे ग्लेन मैक्सवेल (31) को आउट कर भारत की झोली में पांचवीं सफलता डाली। आखिर में भारत की ओर से कसी हुई गेंदबाजी हुई। हार्दिक ने आखिर ओवर की पहली गेंद पर जेम्स फॉकनर (10) को बाउंड्री पर कैच आउट किया।

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