हिमाचल प्रदेश में कई स्थानों पर चुनावी जंग खून के रिश्तों का कत्ल करती नजर आ रही है। कई नेताओं ने टिकट नहीं मिलने के चलते अपने पिता तक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि, यह कहानी किसी एक पार्टी या किसी एक सीट पर नहीं है।
भारतीय जनता पार्टी से लेकर कांग्रेस तक कई ऐसे उदाहरण बनते नजर आ रहे हैं। पूरे सियासी हाल को विस्तार से समझते हैं।
जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह की घटना से शुरू करते हैं। यहां उनकी जिला परिषद सदस्य बेटी वंदना गुलेरिया ने पिता और भाई को सोशल मीडिया पर घसीट दिया। कहा जा रहा है कि उन्हें अपने भाई रजत ठाकुर को राजनीतिक विरासत सौंपे जाने के फैसले से दिक्कत है। उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली से टिकट मिल सकती है, वोट नहीं।
उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाए कि हमेशा बेटियों से ‘कुर्बानी’ देने की उम्मीद की जाती है। फिलहाल, सिंह बेटी को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संभावनाएं जताई जा रही हैं कि वह भी अपने भाई के खिलाफ मैदान में उतर सकती हैं।
इसी तरह का मामला भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष माहेश्वर सिंह के घर में देखने को मिल रहा है। यहां भाजपा के ‘एक परिवार, एक टिकट’ की शर्त के चलते बेटे हितेश्वर सिंह का टिकट कट गया। जबकि, माहेश्वर कुल्लू (सदर) से मैदान में हैं। हालांकि, पहले पिता ने बेटे को टिकट के लिए दावा नहीं करने पर समझा लिया था, लेकिन समर्थकों के दबाव में अब हितेश्वर बंजार सीट से निर्दलीय उतरने की तैयारी कर रहे हैं। फिलहाल, पूरा परिवार उन्हें मनाने की कोशिश कर रहा है।