15 अक्टूबर 2019 का दिन 14 पाकिस्तानी विस्थापितों की ज़िदगी में हमेशा के लिए एक ऐतिहासिक दिन बनकर रहेगा, जिसे वह पीढ़ी दर पीढ़ी याद रखेंगे। पाकिस्तान के ज़ुल्मों से परेशान होकर यह 14 नागरिक 20 साल से भी अधिक समय से भारत में रह रहे थे। बग़ैर किसी पहचान के अपने ऊपर से पाकिस्तानी होने का ठप्पा हटाने के इंतजार में जयपुर में रहकर अपने लिए भारतीय नागरिकता हासिल करने का संघर्ष कर रहे थे।
इनमें कुछ तो ऐसे परिवार हैं जिन्होंने 1991 से जयपुर में शरण ले रखी थी। तो कुछ ऐसे जिन्होंने इसके बाद आकर जयपुर शहर को अपना ठिकाना बनाया और भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी। बता दें कि थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू बड़ी संख्या में भारत आते हैं और फिर यहीं बस जाते हैं। वह पाकिस्तान लौटने के ख़याल से भी डरते हैं।
बता दें कि आईबी की रिपोर्ट आने के बाद ही पाकिस्तानियों को भारतीय नागरिकता दी जाती है। ग़ौरतलब है कि भारत सरकार ने हाल ही में भारत के 40 ज़िलाधिकारीयों को उनके ज़िले में रह रहे पाकिस्तानी विस्थापितों को भारत की नागरिकता देने का अधिकार प्रदान किया है। अगर जयपुर की बात करें तो अब तक 122 पाकिस्तानी विस्थापितों को भारत की नागरिकता दी जा चुकी है। बता दें कि पाकिस्तानी शरणार्थी संतो खान,सपन बाई,मरियम ख़ातून,मोट्योमल,कलावती किशनलाल,मोर ओड, मुकेश कुमार, दिलीप कुमार,संतरी बाई, लक्ष्मीकांत, किरण शर्मा,चन्द्रन बाई, लाजाजी को भारत की नागरिकता प्रदान की गई है।
भारत की नागरिकता पाने के लिए संघर्ष करने वाले नागरिकों ने बताया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होना गुनाह है। वहां अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म ढाये जाते हैं। अब भारत की नागरिकता मिलने के बाद हमारी ज़िंदगी में किसी तरह का कोई डर या भय नहीं है। बता दें कि मंगलवार को कलेक्ट्रेट में जयपुर ज़िला प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें नागरिकता का प्रमाण पत्र सौंपकर भारतीय होने का गौरव प्रदान किया और इस अवसर पर भारतीय नागरिक बने पाकिस्तानी विस्थापितों की आंखें ख़ुशी के आंसुओं से छलक पड़ीं।