हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 62 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। इस सूची में कई दिग्गजों को जगह मिली है तो कुछ का पत्ता भी कट गया है। हिमाचल भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने 75 प्लस वालों को चुनावी राजनीति से दूर रखने, दागियों को टिकट न देने और सामाजिक समीकरणों को साधने का प्रयास किया है। पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के पिता प्रेम कुमार धूमल को टिकट नहीं दिया गया है। इसके अलावा अनुराग ठाकुर के ससुर गुलाब सिंह को भी मौका नहीं मिला है। दोनों नेता 2017 में विधानसभा चुनाव हार गए थे और 75 प्लस के थे। ऐसे में पार्टी ने उन्हें इस बार चुनावी राजनीति से दूर ही रखा है।
हालांकि कहा जा रहा है कि प्रेम कुमार धूमल ने पहले ही इसे भांप लिया था। इसी के चलते उन्होंने पार्टी हाईकमान को चिट्ठी लिखकर कहा था कि अब मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता हूं और मेरी उम्र 78 साल हो गई है। इसके अलावा धर्मपुर से विधायक एवं जयराम सरकार के सबसे सीनियर मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर को भी लिस्ट में जगह नहीं मिल पाई है। उन्हें भी अधिक उम्र के चलते बिठाया गया है। हालांकि उनके बेटे रजन ठाकुर इस बार भाजपा की ओर से चुनावी समर में होंगे। भाजपा की तरफ से पहली सूची में दूसरा सबसे बड़ा फेरबदल नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में किया गया है। वहां से मौजूदा विधायक एवं जयराम ठाकुर सरकार में मंत्री रहे राकेश पठानिया का चुनावी हल्का बदला गया है
11 विधायकों के टिकट कटे
BJP ने कुल 11 विधायकों के टिकट काटे हैं। हालांकि महेंद्र सिंह ठाकुर के परिवार में बेटे को ही टिकट मिला है। इसके अलावा राकेश पठानिया और सुरेश भारद्वाज की सीट बदली है। इस तरह कुल 8 विधायक ही ऐसे हैं, जिनका पत्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। धर्मशाला और कांगड़ा की सीटों पर भी भाजपा ने बड़ा दांव चला है। धर्मशाला सीट से विधायक विशाल नैहरिया को मौका नहीं मिला है और उनकी जगह राकेश चौधरी को टिकट दिया गया है। राकेश चौधरी ने उपचुनाव में निर्दलीय उतरकर ताकत दिखाई थी और दूसरे नंबर पर आए थे।
इसके अलावा कांगड़ा में ओबीसी बिरादरी से आने वाले पवन काजल को मौका मिला है, जो कांग्रेस छोड़कर आए हैं। उनका व्यक्तिगत जनाधार रहा है। ऐसे में भाजपा पवन काजल के निजी वोट और अपने काडर वोट के जरिए जीत की रणनीति पर काम कर रही है। पवन काजल ने 2012 के चुनाव में निर्दलीय ही जीत हासिल की थी। इसके अलावा 2017 में कांग्रेस के टिकट पर उतरे थे और कुछ वक्त पहले ही भाजपा में आए हैं। पवन काजल को ओबीसी बिरादरी के बड़े नेताओं में गिना जाता है।