प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद अब सत्ता का केंद्र राजभवन बन जाएगा। राज्यपाल की रिपोर्ट को आधार बनाकर राष्ट्रपति ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर धारा 356 का इस्तेमाल किया है, जिससे प्रदेश की समस्त सरकारी मशीनरी सीधे राजभवन के अधीन आ गई है।
राष्ट्रपति शासन के बाद राज्यपाल के पद में असीमित शक्तियां निहित हैं। नौकरशाही अब सीधे राजभवन को रिपोर्ट करेगी और राज्यपाल की तय गाइडलाइन पर उसे कामकाज करना होगा। इस व्यवस्था के तहत अधिकारियों को कामकाज की अधिक स्वतंत्रता मिलने की उम्मीद रहेगी।
संविधान की धारा 356 में प्रावधान है कि अगर राज्य में निर्वाचित सरकार संवैधानिक प्रावधानों एवं मर्यादाओं के निर्वहन में विफल रहती है तो राष्ट्रपति केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश को आधार बनाकर राज्य सरकार को बर्खास्त, भंग या फिर निलंबित कर सकते हैं। उत्तराखंड में विधानसभा निलंबित कर दी है, जिसके बाद तमाम शक्तियां राज्यपाल को प्राप्त होंगी।
ऐसे में नौकरशाही प्रत्यक्ष रूप से राजभवन के अधीन होने से कामकाज अधिक स्वतंत्र रूप से होने की संभावना रहेगी। सचिवों को अब हर फाइल पर विभागीय मंत्रियों के अनुमोदन से राहत मिलेगी, जिससे नौकरशाही को निर्णय लेने की स्वतंत्रता अधिक मिलेगी।
राष्ट्रपति शासन के दौरान नौकरशाही का सबसे अहम रोल है, जिसमें मुख्य सचिव की भूमिका सबसे अहम होती है। विभागीय फाइलें से मुख्य सचिव के माध्यम से राजभवन जाएंगी। लेकिन प्रमुख सचिव गृह व प्रमुख सचिव कार्मिक का रोल भी अहम होगा। सचिवों की कार्यप्रणाली में राजनीतिक दखल कम होगा। सचिवालय के बाद जिलों की प्रशासनिक इकाइयों के अधिकार भी इस दौरान अधिक हो जाते हैं।