उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल अब तेज़ हो गई है। वहीं इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के सोमवार को दिल्ली पहुंचने से इसमें और भी ज़्यादा इजाफा हो गया है। इस बीच राज्य सरकार में कुछ बड़े परिवर्तन की अटकलों (Uttarakhand Political Crisis) के चलते प्रदेश का सियासी तापमान बढ़ गया है। दिल्ली पहुंचे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिलने आए हैं उनसे समय लिया है। इस दौरान उन्होंने मीडिया के सवालों का कोई नहीं सीधा जवाब नहीं दिया।
सूत्रों से बताया जा रहा है कि पार्टी के बहुत से विधायक पहले से ही दिल्ली में मौजूद हैं। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह और प्रदेश के प्रभारी महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम सोमवार को ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को राज्य की राजनीतिक स्थिति पर अपनी रिपोर्ट सौंप सकते हैं। इस दौरान उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने अपने ताज़ा बयान में कहा कि “उत्तराखंड में चल रही राजनीतिक हलचल की खबरें सही हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री दिल्ली आ रहे हैं, लेकिन उनका ये रूटीन दौरा है। सीएम रावत ने उत्तराखंड में अच्छा काम किया है और आगे भी करते रहेंगे।”
अगले साल उत्तर प्रदेश के साथ साथ उत्तराखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले पार्टी नेतृत्व वहां संगठन और सरकार में किसी भी तरह से असंतोष के हालात नहीं बनने देना चाहता है। ऐसे में कहा का रहा है कि वहां से पर्यवेक्षक जो रिपोर्ट लेकर लौटे हैं, उसपर 9 मार्च को बीजेपी की सबसे प्रभावी संस्था पार्लियामेंट्री बोर्ड कोई बड़ा फैसला ले सकता है। यही वजह है कि राज्य में मुख्यमंत्री बदलने पर बातें बनाई जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन पर मंथन जारी है क्योंकि कुछ विधायक मौजूदा नेतृत्व के खिलाफ हैं। जिसके लिए सीएम रावत दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात करके अपना पक्ष रखेंगे।