मुहम्मद बिन सलमान की कोशिश लायी रंग, सऊदी अरब की सबसे बड़ी कम्पनी..

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सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी सऊदी अरामको इस साल आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) लाने को तैयार है। कंपनी की कुल वैल्यूएशन 1.7 ट्रिलियन डॉलर की आंकी गई है। हालांकि, सऊदी क्रॉउन प्रिंस ने 2 ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य रखा था। बता दें कि सऊदी अरामको इस आईपीओ के ज़रिए अमेरिका समेत दुनिया के किसी अन्य स्टॉक मार्केट में सीधे तौर पर शेयर नहीं बेच सकेगी।

यह केवल सऊदी अरब के स्टॉक मार्केट तक ही सीमित होगा। जहां विदेशी संस्थागत निवेशक इसका लाभ ले सकते हैं। सऊदी अरामको का आरंभिक निर्गम (आईपीओ) दुनिया का सबसे बड़ा निर्गम हो सकता है। सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान काफी समय से तेल पर निर्भर अपनी अर्थव्यवस्था में बदलाव लाने के प्रयासों में जुटे हैं। और सऊदी अरामको का कहना है, कि उनकी योजना रियाद स्टॉक एक्सचेंज में अपने शेयर बेचने की है। सऊदी अरामको अभी कंपनी में 1.5 फ़ीसदी हिस्सेदारी की ही आईपीओ लाएगी। जो कि क़रीब 3 अरब शेयर्स होंगे।

सूत्रों पर आधारित ख़बरों की मानें तो एक शेयर की कीमत 30 से 32 रियाल तय की जा सकती है। जिसमें आईपीओ के ज़रिए क़रीब 25 अरब डॉलर जुटाए जा सकते हैं। और अगर कंपनी ‘ग्रीनशू’ यानी 15 फ़ीसदी ओवर अलॉटमेंट को चुनती है, तो यह विकल्प आईपीओ के साइज़ में और इज़ाफ़ा कर देगा। आईपीओ आने के साथ सऊदी अरामको चीन के अलीबाबा के आईपीओ को पछाड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी आईपीओ बन सकती है। और दुनिया के सबसे बड़े आईपीओ पर दुनिया भर की नज़रें टिकी हैं।

दुनिया की कच्चे तेल की ज़रूरत का 10 फ़ीसदी अकेले सऊदी अरामको ही पूरा करती है। हालांकि, कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है, कि अभी उसकी योजना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शेयर सूचीबद्ध कराने की नहीं है। बता दें कि सऊदी अरामको ने अभी लिस्टिंग की कोई तारीख निश्चित नहीं की है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सॉवरेन वेल्थ फंड और सरकार इंटरप्राइज़ की मदद से क़रीब 10 अरब डॉलर (70 हजार करोड़ रुपए) के शेयर ख़रीद सकता है। दुनिया में सबसे ज़्यादा कच्चे तेल का आयात चीन में ही होता है।