आज यानी सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र का आगाज हो गया है। दोनों सदनों की कार्यवाही भी शुरू हो गई है। जैसा कि गुरुपर्व के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हित में फैसला लेते हुए कहा था, ठीक वैसा ही हुआ। उन्होंने कहा था कि सत्र के शुरू होते ही कृषि कानूनों को वापस ले लिया जाएगा। आज संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला बिल लोकसभा में पेश किया और इस बिल को मंजूरी भी मिल गई। हालांकि इस बिल पर लोकसभा में चर्चा नहीं हुई। जिसको लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा मचाया।
विपक्ष की मांग है कि इस बिल पर भी चर्चा करनी चाहिए। बिना किसी चर्चा से इसको पास नहीं किया जा सकता। इस बीच सदन में मौजूद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि “आज सदन में नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस बिल को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखे जाने की बात कही गई लेकिन इस पर सरकार चर्चा क्यों नहीं करना चाहती है?” एक दूसरे बयान में उन्होंने कहा कि “सदन को चलने नहीं देने के लिए सरकार हम पर आरोप लगाती है। लेकिन कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 पेश किया गया और बिना चर्चा के पारित कर दिया गया। भले ही सरकार ने कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया हो, लेकिन इसकी ‘मन की बात’ कुछ और है।”
जानकारी के मुताबिक विपक्ष के हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बिल पर चर्चा न करने पर अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि “सदन में व्यवस्था नहीं है और इस हालात में चर्चा कैसे करायी जा सकती है? आप (विपक्षी सदस्य) व्यवस्था बनाये तब चर्चा करायी जा सकती है। इसके बाद इस बिल को सदन में पास कर दिया गया। इसके अलावा कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस मामले पर अपना बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि “सरकार ने गलत किया है। इससे पहले कानून को रिपील करने के लिए लाए गए बिल पर चर्चा लोकसभा में हुई थी। हम किसानों के लिए एमएसपी कानून, आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मृत्यु हुई है उनके परिवारजनों को मुआवजा जैसे मसले संसद में उठाना चाहते थे …लेकिन सरकार ने हमें मौका नहीं दिया।”