जोशीमठ शहर के लगभग डेढ़ किलोमीटर के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया गया है। जोशीमठ का अध्ययन कर लौटी विशेषज्ञों की टीम की संस्तुतियों के आधार पर देर शाम यह कदम उठाया गया।
जोशीमठ का जियो टेक्निकल व जियो फिजिकल अध्ययन कराया जाएगा। जिन क्षेत्रों में घरों में दरारें नहीं हैं, वहां भवन निर्माण के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। साथ ही हाइड्रोलाजिकल अध्ययन भी कराने का निर्णय लिया गया है।
सचिव आपदा प्रबंधन डा रंजीत कुमार सिन्हा ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि प्रभावितों के पुनर्वास के लिए पीपलकोटी, गौचर, कोटीकालोनी समेत कुछ अन्य स्थान चयनित किए गए हैं। भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण को इन क्षेत्रों का जियो अध्ययन करने के लिए लिखा गया है। प्री-फैब्रिकेट घरों के निर्माण के दृष्टिगत केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की से प्रस्ताव मांगा गया है।
उन्होंने बताया कि सेना ने जोशीमठ स्थित अपने आवासीय परिसर में खतरे की जद में आए भवनों को खाली कर यहां रह रहे परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया है।
जोशीमठ में भूधंसाव और घरों में दरारें पडऩे का सिलसिला तेज होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर जोशीमठ की स्थिति का दोबारा अध्ययन करने के लिए सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की टीम गठित की गई।
टीम ने गुरुवार से जोशीमठ में स्थलीय निरीक्षण करने के साथ ही स्थानीय निवासियों से बातचीत की। शनिवार देर शाम टीम ने वापस लौटकर रिपोर्ट शासन को सौंपी। सचिव आपदा प्रबंधन डा सिन्हा के अनुसार रिपोर्ट की संस्तुतियों के आधार पर एहतियातन कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।