देश में कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा हमेशा से हुई है और होती चली जा रही है। इन मुद्दों में से एक मुद्दा लड़कों और लड़कियों की शादी का है। शादी को लेकर अक्सर कई तरह के सवाल किए जाते हैं और इस पर कई तरह के कानून भी बनाए गए हैं। हाल ही में मोदी सरकार ने एक कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है। मोदी सरकार के फैसले के मुताबिक देश में लड़कियों की शादी करने की कम से कम उम्र 18 नहीं बल्कि 21 साल होनी चाहिए। बता दें कि बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लड़कियों के विवाह के लिए न्यूनतम आयु को मौजूदा 18 साल से बढ़ाकर पुरुषों के बराबर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब इसका भी विरोध होना शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के कुछ खाप नेताओं ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि होगी। कालखंडे खाप पंचायत के प्रमुख चौधरी संजय कालखंडे ने कहा कि “लड़कियों की शादी की उम्र सीमा बढ़ाने का निर्णय समाज पर बुरा प्रभाव डालेगा। आज का समय तकनीक और सोशल मीडिया का है। युवा पीढ़ी इससे जुड़ी है। आज 14 साल की उम्र में भी लड़कियां शादी के लिए पर्याप्त रूप से परिपक्व हो जाती हैं।”
वहीं, केंद्र के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाते हुए गठवाला खाप पंचायत के प्रमुख बाबा श्याम सिंह ने कहा कि “शादी के लिए न्यूनतम उम्र बढ़ाने से महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि होगी।” कानून के मुताबिक अगर लड़की बालिक हो जाती है तो उसकी शादी की जा सकती है। लेकिन मोदी सरकार का कहना है कि दूल्हा और दुल्हन की उम्र सामान्य होनी चाहिए। जिसके चलते इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।