देश में कोरोना वायरस से बचाव के चलते 3 मई तीसरा लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में देखो तो सभी गतिविधियां ठप हो जाने के कारण लगभग सभी राज्यों के मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं.बिहार के लगभग 25000 मजदूर और छात्रों को बिहार वापस लाने के लिए 23 स्पेशल ट्रेनें देश के अलग-अलग हिस्सों से बिहार आ रही हैं। वहीं कर्नाटक की भाजपा सरकार ने बिहार जाने वाली 3 ट्रेनों को निरस्त कर दिया है जिससे बिहार तथा देश में सियासी राजनीति बहुत तेजी से बढ़ गई है।
दरअसल,कर्नाटक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने प्रवासी मजदूरों से अपील की है कि वह उन्हीं के राज्य में रुक जाए,देश में औद्योगिक निर्माण के चलते सरकार को उनकी जरूरत है। कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर बिहार के प्रतिपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने कड़ी निंदा करते हुए कहा कि, कर्नाटक सरकार हमारे प्रवासी मजदूरों को अपना बंधुआ मजदूर ना समझें। साथ ही साथ उन्होंने बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी अपील की की बात जल्द से जल्द इस मामले को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करें।
वहीं इस मामले पर कांग्रेस पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कर्नाटक सरकार के साथ-साथ नीतीश कुमार पर भी निशाना साधते हुए कहा कि इसमें दोनों सरकारों की आपसी मिलीभगत भी हो सकती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार मजदूर कर्नाटक सरकार के बंधुआ मजदूर नहीं है उन्हें जल्द से जल्द बिहार वापस आने दिया जाए।
आपको बता दें कि कर्नाटक सरकार ने, बिहार के प्रवासी मजदूर जो कर्नाटक में फल- सब्जी बेचना, मजदूरी करना,नाई,ड्राइविंग जैसे दिहाड़ी काम करते हैं, उनको मुआवजा देने का भी ऐलान किया है। मजदूरों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने 1,610 करोड़ रुपये का मुआवजा/लाभ देने का ऐलान किया है।