बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का बयान-“अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाए तो संसद बंद कर दी जाए”

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रांची: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक बार फिर अपने बयान से राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है। गोड्डा से सांसद दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक विवादित टिप्पणी करते हुए लिखा, “क़ानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।”

उनका यह बयान वक्फ संशोधन कानून और पॉकेट वीटो से जुड़े मामलों की न्यायिक समीक्षा के संदर्भ में सामने आया है। सांसद दुबे की यह टिप्पणी उस बहस को और हवा देती है, जिसमें न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के संतुलन पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

इससे पहले, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी इसी मुद्दे पर चिंता जताई थी। कानून मंत्री रिजिजू ने कहा था कि न्यायपालिका को विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और संविधान में शक्तियों का स्पष्ट विभाजन तय किया गया है। उनका मानना है कि सरकार और न्यायपालिका को एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्रों का सम्मान करना चाहिए।

हालांकि, सांसद दुबे के बयान पर प्रतिक्रियाएं भी तेज़ी से सामने आई हैं। कई लोगों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कार्य कानून बनाना नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा और उस पर आधारित कानूनों की वैधानिकता की समीक्षा करना है। अगर संसद बिना न्यायिक संतुलन के कानून बनाए, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक हो सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय संविधान “शक्तियों के पृथक्करण” (Separation of Powers) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की अपनी-अपनी सीमाएं और भूमिकाएं निर्धारित हैं। इस संतुलन को बनाए रखना ही एक सशक्त लोकतंत्र की नींव है।