जस्टिस लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद साफ हुआ, न्यायपालिका राजनीतिक लड़ाई का क्षेत्र नहीं : राजनाथ सिंह

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नयी दिल्ली। जस्टिस लोया मामले की स्वतंत्र जांच के लिए दाखिल की गयी याचिका को खारिज किये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कलंकित करने की साजिश विफल हो गयी है और साथ ही यह बात भी साफ हो गयी है कि न्यायपालिका राजनीतिक लड़ाई का क्षेत्र नहीं है।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रवक्ता आरएस सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आज का फैसला भारतीय इतिहास में दुखद दिन के रूप में याद किया जायेगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विसंगतियां थी, यहां तक कि पीड़ित के नाम को भी सही तरीके से दर्ज नहीं किया गया था।
बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत की जांच एसआईटी से कराने से इनकार कर दिया , जिसके बाद भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि यह याचिका राजनीतिक मकसद से दायर की गई थी जिसके पीछे राहुल गांधी का अदृश्य हाथ था। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता इस विषय पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने गए थे। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से आज साफ हो गया है कि किस प्रकार से कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी ने राजनीतिक द्वेष के लिए कोर्ट के माध्यम से राजनीति करने की कोशिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जस्टिस लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने एकबार फिर कांग्रेस का सच सबके सामने ला दिया है। राहुल गांधी को इस देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने देश में नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश की, ताकि उसका प्रभाव जनता पर पड़े।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आज जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत की एसआईटी जांच की मांग करने वाली सभी याचिकाओं को आज खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों और बंबई उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाकर न्यायपालिका को विवादित बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
पीठ ने कहा, ‘ लोया की मृत्यु की परिस्थितियों के संबंध में चार जजों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। साथ ही रिकॉर्ड में रखे गए दस्तावेजों और उनकी जांच यह साबित करती है कि लोया की मृत्यु प्राकृतिक कारणों से हुई है।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं से यह एकदम स्पष्ट है कि इसका असली मकसद न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला करने का प्रयास था। न्यायालय ने कहा कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के मकसद से इस तरह की ओछी और हित साधने वाली याचिकाएं दायर की जा रही हैं।
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बी एच लोया की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिये बंबई लायर्स एसोसिएशन , कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बी एस लोन ने शीर्ष अदालत में याचिकायें दायर की थी।