हरियाणा में जमीन घोटाले को लेकर बनाए गए जस्टिस ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट सियासी हलकों में बवाल मचाने जा रही है. सूत्रों के हवाले से पता चला है कि जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में अनेक सरकारी अधिकारियों को तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने का जिम्मेदार ठहराया है. आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आपराधिक षंडयत्र सहित अनेक धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज हो सकते हैं और इनमें सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों समेत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ भी केस दर्ज हो सकता है.
एक बार फिर सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट और उससे जुड़ी दूसरी कंपनियां कानून के शिकंजे में फंसती नजर आ रही है. जस्टिस एसएन ढींगरा जांच आयोग की रिपोर्ट ने इस बार रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी और कांग्रेस के नजदीकी लोगों को निशाने पर लिया है .
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस ढींगरा बुधवार को अपनी रिपोर्ट हरियाणा सरकार को सौंप रहे हैं. हरियाणा सरकार ने 14 मई 2015 को हरियाणा विशेषकर गुड़गांव और उसके आसपास की जमीनों को लेकर हुए घोटाले की जांच को लेकर जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की नियुक्ति की थी. इस आयोग को जून 2016 में अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी थी लेकिन अंतिम समय पर आयोग के सामने कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज आ गए और उसके आधार पर आयोग को जांच के लिए आठ सप्ताह का और समय मिल गया. अब ये रिपोर्ट बुधवार को पेश होने जा रही है. सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट की बाइंडिंग का काम पूरा हो चुका है.
सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में हरियाणा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा समेत अनेक सरकारी अधिकारियों पर तमाम नियम कानूनों को ताक पर रख कर प्रभावशाली लोगों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है और इसमें सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी भी शामिल बतायी जा रही है. सूत्रों के मुताबिक अपनी रिपोर्ट में जस्टिस ढींगरा ने साफ तौर पर कहा है कि अनेक प्रभावशाली कंपनियों को जिनमें वाड्रा की कंपनी भी शामिल है, उन्हें सीएलयू यानी चेंज आफ लैंड यूज सर्टिफिकेट जारी किए गए जिसके चलते जमीनों की कीमतें बढ़ गईं.
सूत्रों के मुताबिक जिन कंपनियों को ये सीएलयू सर्टिफिकेट दिए गए उनकी कीमतों में जिस दर से जमीन खरीदी गई थी. उनमें पांच सौ से लेकर आठ सौ प्रतिशत तक का इजाफा हुआ. मसलन एक कंपनी ने सात करोड़ रुपये की जमीन खरीदी थी लेकिन लैंड यूज चेंज होने के बाद उस कंपनी ने वही जमीन 55 करोड़ रुपये से ज्यादा में बेची. यही नहीं इस खरीद फरोख्त के दौरान सरकार को भी चूना लगाया गया. कंपनियों ने सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के चलते स्टाम्प डयूटी में भी हेराफेरी.
अपनी जांच के दौरान ढींगरा आयोग ने रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी से सीधे नाता रखने वाली कंपनियों और अन्य लोगों से भी पूछताछ की और इनमें से अनेक लोगों के बयान गवाहों के तौर पर और अनेक लोगों के बयान पार्टी के तौर पर दर्ज किए गए हैं. आयोग ने 50 लोगों से ज्यादा लोगों से पूछताछ की और इनमें दो दर्जन सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं.
सूत्रों के मुताबिक आयोग ने अपनी रिपोर्ट में हरियाणा के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं और इस विभाग के तत्कालीन मंत्री को भी कठघरे में खड़ा किया है. सूत्रों ने बताया कि आयोग की रिपोर्ट में अनेक मामलों में मुकदमा दर्ज किए जाने और जांच कराए जाने की सिफारिश की गई है. जिनके आधार पर आपराधिक षड्यंत्र समेत अनेक धाराओं के तहत आधा दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमें दर्ज कराए जा सकते हैं. इन एफआईआर में वाड्रा की कंपनी और पूर्व मुख्यमंत्री और अनेक सरकारी अधिकारियों के नाम शामिल हो सकते हैं
सूत्रों के मुताबिक आयोग ने गुड़गांव के सेक्टर 83 समेत शिकोहपुर, सिकदंरपुर, खेड़की दौला और सिही गांवों में जमीनों को वाणिज्यिक लाइसेंस दिए जाने की जांच की है. जस्टिस ढींगरा आयोग ने जांच के दौरान वाड्रा और हुड्डा को भी पेश होने के नोटिस जारी किए थे. लेकिन दोनों पेश नहीं हुए थे. अब इस रिपोर्ट की सिफारिशों पर सियासी बवाल मच सकता है.