जानें, कैसे एक मामूली टैक्सी ड्राइवर ने की महिला की मदद…

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कोरोना वाय’रस के संक्रम’ण को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने 21 दिनों को लॉकडाउन लगा दिया था जोकि 14 अप्रैल को खत्म हो चुका है। लेकिन देश में कोरोना वाय’रस के मरीजों के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन को बढ़ा दिया है अब यह लॉकडाउन 3 मई तक जारी रहेगा। लॉकडाउन की घोष’णा करते हुए सरकार ने सख्ती से कहा था कि कोई भी व्यक्ति अपने घर से नहीं निकलेगा। जो जहां है वो वहीं रहेगा। जिसकी वजह से लोगों को मुसीबत का सामने करना पड़ रहा है। कोई बिना छत के रह रहा है तो कोई बिना खाए पिए अपने दिन काट रहा है। लेकिन इंसानियत से हम कोरोना वाय’रस के खिलाफ छोड़ी इस जं’ग से जीत सकते है। इसी तरह का इंसानियत का मामला गुरुग्राम से देखने को मिला है।

दरअसल गुरुग्राम में रहने वाले एक टैक्सी ड्राइवर ने एक गर्भवती महिला को 21 दिन अपने घर में रखा जोकि लॉकडाउन के कारण फंस गई थी। लॉकडाउन खत्म होने के बाद उस व्यक्ति से पास बनवा कर गर्भवती महिला को उसके घर जयपुर छोड़ा। बता दें कि जयपुर की निवासी जोकि 8 महीने की एक गर्भवती थी वह उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के लिए चली थी। लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह गुरुग्राम में ही फंस गई। जिस टैक्सी में बैठकर वह जा रही थी उसी टैक्सी के ड्राइवर संजय ने महिला और उसकी बेटी को 21 दिनों के लिए अपने घर में रखा। बता दें कि संजय गुरुग्राम में एक छोटे से मकान में रहते हैं जहां कोई सुख सुविधा नहीं है। लॉकडाउन से पहले वो जयपुर सवारी छोड़ने गए थे लेकिन लौटते समय उन्हें एक महिला अपनी बेटी के साथ मिली जो यूपी के मुजफ्फरनगर से अपनी बड़ी बेटी को लेने जा रही थी।

संजय बताते हैं कि “एक बार तो मैं डरा, मुझे लगा कि महिला को देखकर मुझसे सवाल पूछे जाएंगे लेकिन फिर मैंने परिस्थिति को समझते हुए इंसानियत दिखाई और महिला को अपने घर ले आया।” उन्होंने बताया कि “28 साल की महिला सुहाना सिंह और उसकी बेटी 21 दिनों तक मेरे घर पर रहे, उन्हें खाना खिलाया और अस्पताल भी ले कर गए और कर्फ्यू पास बनवाने की कोशिश भी करते रहे।” संजय ने आगे कहा कि मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। मुझे लगा थे कि यह एक दो दिन की बात होगी लेकिन लॉकडाउन इतना बढ़ जाएगा उसका ज़रा भी अंदाजा नहीं था। वहीं सुहाना सिंह का कहती हैं कि “ट्रैक्सी ड्राइवर ने मेरी बहुत मदद की। हम दोनों एक घर में भाई-बहन की तरह रहे।” बता दें कि पैसे खत्म होने के बाद टैक्सी ड्राइवर ने इलाके के निगम पा’र्षद से सहायता ली और कर्फ्यू पास बनवा कर महिला को जयपुर छोड़कर आए।