घनश्याम दुबे : एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व, समाज के क्षेत्र में रहा परिवार का अविस्मरणीय योगदान

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घनश्याम दुबे: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व और उनकी विरासत

महाराष्ट्र के पूर्व विधान परिषद सदस्य घनश्याम दुबे के निधन से सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र को अपूरणीय क्षति हुई है। घनश्याम दुबे ने समाज को नई दिशा देने के लिए हमेशा संवाद और पहल का रास्ता अपनाया। वे उत्तर भारतीय महासंघ एवं भारतीय विकास संस्थान के संस्थापक थे और उत्तर भारतीय समुदाय की आवाज़ को बुलंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पंडित घनश्याम दुबे का परिवार भारतीय समाज और खेल में भी अपनी धरोहर रखता है। वे प्रसिद्ध राजनारायण दुबे के पुत्र थे, जो भारतीय कुश्ती जगत के पथप्रदर्शक के रूप में विख्यात थे।

शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाते हुए सुरियावां का पहला इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज स्थापित किया। वे घनश्याम दुबे महाविद्यालय और सेवाश्रम इंटर कॉलेज के अध्यक्ष और ट्रस्टी थे।
बोरीवली -दहिसर में अनेक कंस्ट्रक्शन के प्रोजेक्ट चल रहे है ।
उन्होंने सुरियावां में पहला कोल्ड स्टोरेज स्थापित कर क्षेत्र के व्यापार और रोजगार में अभूतपूर्व योगदान दिया।

घनश्याम दुबे का परिवार भी समाज सेवा और राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उनके पुत्र, डॉ योगेश दुबे का समाज में विशिष्ट स्थान है अपने कौशल व सौम्य व्यक्तित्व से उत्तर भारतीयों में लोकप्रिय है । उनकी भागीदारी घनश्याम दुबे की विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास है।
घनश्याम दुबे न केवल उत्तर भारतीय समुदाय को संगठित किया बल्कि समाज के लिए नए मानक भी स्थापित किए। उनके कार्य और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। उनकी विरासत उनके परिवार द्वारा जारी है, जो सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय रहकर समाज की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं। घनश्याम दुबे को श्रद्धांजलि देते हुए हम उनके योगदान को नमन करते हैं।