प्रसिद्ध गीतकार आनंद बक्शी की याद में ‘मैं शायर … ‘ कार्यक्रम का आयोजन शुक्रवार 24 जनवरी 2020 को किंग्स सर्कल स्थित षणमुखानंद हॉल में किया जा रहा है. ‘तथास्तु प्रोडक्शन’ द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में संगीत जगत की कई नामी हस्तियां शिरकत करेंगी. कार्यक्रम के पास ‘बुक माय शो’ से भी प्राप्त किए जा सकते हैं.
‘तथास्तु प्रोडक्शन’ के भरत ओझा ने बताया कि कार्यक्रम का संगीत संयोजन अनूपम घटक करेंगे.इस कार्यक्रम में मशहूर भजन गायक अनूप जलोटा, भूमि त्रिवेदी, शैलेजा सुब्रमण्यम, समीर – दिपाली, सौरीन भट्ट, नितेश कुमार, हरप्रीत कौर आदि कलाकार अपनी प्रस्तुति के माध्यम से प्रसिद्ध गीतकार आनंद बक्शी को याद करेंगे. इस कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए आयोजक बड़ी शिद्दत से लगे हैं.
सब जानते हैं कि भारतीय कला जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले आनंद बक्शी की गिनती चोटी के गीतकारों में होती है. आनंद बक्शी ने अपने 43 वर्षों के फ़िल्मी सफ़र में लगभग 600 फ़िल्मों के लिए 4 हज़ार से ज़्यादा गीत लिखे हैं. फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए उन्हें 40 बार नामांकित किया गया. आनंद बक्शी ने अपने मनमोहक गीतों से सभी के दिलों में जगह बनाई है.
आनंद बक्शी के लिखे कुछ बेहतरीन गाने…
एक था गुल और एक थी बुलबुल … (जब जब फूल खिले – 1965)
कोरा कागज़ था ये मन मेरा … (आराधना – 1969)
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना … (अमर प्रेम – 1971)
चिंगारी कोई भड़के…… (अमर प्रेम – 1971)
ज़िंदगी के सफ़र में गुज़र जाते है….. (आपकी कसम – 1974)
मैं शायर बदनाम……. (नमक हराम – 1973)
मैं शायर तो नहीं, मगर ऐ हसीं … (बॉबी – 1973)
गाड़ी बुला रही है … सीटी बजा रही है …(दोस्त – 1974)
भूल गया सब कुछ, याद नहीं अब कुछ … (जूली – 1975)
ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे … (शोले – 1975)
चांद मेरा दिल … चांदनी हो तुम … (हम किसीसे कम नहीं – 1977)
शीशा हो या दिल हो … आखिर टूट जाता है … (आशा – 1980)
ओम शांति ओम … मेरी उमर के नौजवानो … (क़र्ज़ – 1980)
हम बने तुम बने एक दूजे के लिए … (एक दूजे के लिए – 1981)
सोलह बरस की बाली उमर को सलाम…. (एक दूजे के लिए – 1981)
याद आ रही है तेरी याद आ रही है … (लव स्टोरी – 1981)
हमने सनम को ख़त लिखा, ख़त में लिखा … (शक्ति – 1982)
तू मेरा जानू है … तू मेरा हीरो है … (हीरो – 1983)
चांदनी ओ मेरी चांदनी (चांदनी – 1989)
तिरछी टोपी वाले … ओये ओये (त्रिदेव – 1989)
जुम्मा चुम्मा दे दे … (हम – 1991)
नायक नहीं ख़लनायक हूं मैं … (ख़लनायक – 1993)
दो दिल मिल रहे हैं …मगर चुपके चुपके … (परदेस – 1997)
ताल से ताल मिला … (ताल – 2000)
मैं निकला ओ गड्डी लेके …(ग़दर – एक प्रेम कथा – 2001)
Bahut achhe . All the best. Badhai in advance.
Hardik subh kaamnayien.
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