गीतांजलि श्री के हाथ लगी बड़ी सफलता, बनी पहली भारतीय लेखक जिसने…

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भारत धीरे धीरे सफलता की ओर बढ़ता जा रहा है। देश की इस सफलता के पीछे सरकार के साथ साथ नागरिकों का भी हाथ है। देश के नागरिक एक के बाद एक सफलता हासिल कर दुनिया भर में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आपको बता दें कि अब भारत के हाथ एक और सफलता लगी है। बता दें कि दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री के हिन्दी उपन्यास ‘रेत समाधि’ (टॉम्ब ऑफ सैंड) को अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज़ मिला है। यह हिंदी भाषा में पहला ‘फिक्शन’ है जो इस प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में शामिल था।

गौरतलब हैं कि इससे पहले भारत का कोई भी उपन्यास अब तक अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार नहीं जीता है। गीतांजलि श्री के हिन्दी उपन्यास ‘रेत समाधि’ को डेजी रॉकवेल ने अंग्रेज़ी में अनूदित किया है। आपको बता दें कि डेजी रॉकवेल अमेरिका में रहने वाली एक चित्रकार और लेखिका हैं। गीतांजलि श्री की ये किताब 50,000 पाउंड के इस पुरस्कार को जीतने में कामयाब हुई। जिसको लेकर उनसे कुछ बातें भी पूछी गई।

इस बारे में बार करते हुए गीतांजलि श्री ने कहा कि “मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कर सकती हूं। कितनी बड़ी बात है, मैं चकित, खुश, सम्मानित और विनम्र हूं महसूस कर रही हूं। इस पुरस्कार के मिलने से एक अलग तरह की संतुष्टि है। ‘रेत समाधि/’टॉम्ब ऑफ सैंड’ उस दुनिया के लिए एक शोकगीत है जिसमें हम निवास करते हैं। बुकर निश्चित रूप से इसे कई और लोगों तक पहुंचाएगा।”

उन्होंने आगे कहा कि “मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध और साहित्यिक परंपरा है। इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों को जानने के लिए विश्व साहित्य अधिक समृद्ध होगा। इस तरह की बातचीत से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी।” आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गीतांजलि श्री दिल्ली में रहने वाली एक 64 वर्षीय लेखिका हैं, जिनका ताल्लुक उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से है।