एकल श्रीहरि’ का दो दिवसीय रजत जयंती महोत्सव आगामी 6 – 7 मार्च को..

0
389

पिछले 25 वर्षों से मानव सेवा तथा समाज, धर्म और संस्कृति की रक्षा में प्राण-प्रण से जुटी समाजसेवी संस्था ‘एकल श्रीहरि’ अपना रजत जयंती वर्ष मना रही है। जिसका उद्घाटन समारोह आगामी 6 और 7 मार्च 2021 को दिल्ली में आयोजित है। गौरतलब है कि ‘एकल श्रीहरि’ की स्थापना ‘श्रीहरि सत्संग समिति’ के नाम से कलकत्ता (अब कोलकाता) में 1996 में की गयी थी, जबकि मुंबई में ‘एकल श्रीहरि’ की स्थापन स्व. श्री स्वरुप्चंदजी गोयल के नेतृत्व में की गयी। ‘एकल श्रीहरि’ का उद्देश्य धर्मकथा के माध्यम से सुदूर अंचलों में निवास कर रहे वनवासी- आदिवासी समाज को संस्कारित करने, उन्हें शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें भारतीय सनातन संस्कृति की मुख्यधारा से जोड़ना है।

‘एकल श्रीहरि’ के रजत जयंती वर्ष उद्घाटन समारोह की संयोजिका और श्रीहरि सत्संग समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्रीमती मीना अग्रवाल (मुंबई) ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया कि दो दिवसीय और कुल तीन सत्र में चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन श्री श्याम गुप्त अपने उद्बोधन से करेंगे। समारोह में दीदी माँ साध्वी ऋतम्भराजी, वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री रामबहादुर राय, पाञ्चजन्य तथा ऑर्गनाइजर के संपादकद्वय श्री हितेश शंकर और श्री प्रफुल्ल केतकर, श्री सूर्यप्रकाशजी, जी टीवी प्रमुख श्री सुभाष चंद्रा, श्रीमती किरण चोपड़ा सहित कई अन्य विभूतियों का सान्निध्य तथा आशीर्वचन प्राप्त होगा। आभार ज्ञापन श्री सत्यनारायण काबरा देंगे।
2
आपको बता दें कि कोविद-19 के चलते सीमित संख्या में ही दर्शकों के उपस्थिति की अनुमति मिल पाने के कारण यह पूरा कार्यक्रम आभासी भी होगा जिसे ऑनलाइन देखा जा सकेगा। उद्घाटन कार्यक्रम 6 मार्च अपरान्ह ढाई बजे से सायं चार बजे तक चलेगा तत्पश्चात प्रथम सत्र सायं 4.30 बजे से प्रारम्भ होकर शाम 6.00 बजे तक चलेगा। अगले दिन 7 मार्च को अपरान्ह 3 बजे से शाम सवा चार बजे तक द्वितीय सत्र तथा शाम 5 बजे से 7.15 बजे तक समापन सत्र का आयोजन किया गया है।

वर्तमान में संस्था के लगभग 1 हजार प्रशिक्षित कथाकार देश के विभिन्न गाँवों में तीन दिवसीय कथा का आयोजन कर रहे हैं और ग्रामवासी किसानों को गौ-महिमा से परिचित करते हुए उन्हें गौ-वंश पालन के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। उद्घाटन समारोह में पुस्तक विमोचन के अलावा संस्था के 25 वर्षीय धर्म, संस्कृति और वनवासी समाज की सेवा-यात्रा पर बनी फिल्म भी प्रदर्शित की जाएगी। इसके साथ ही प्रशिक्षित वनवासी महिला-पुरुष कलाकारों द्वारा ‘भारत के रंग – एकल के संग’ नामक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जायेगा।

एकल श्रीहरि ने अपने इस रजत जयंती वर्ष में देश भर में चल रहे संस्था के 70 हजार संस्कार केंद्रों को बढ़ाकर 1 लाख तक करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अलावा वर्तमान में चल रहे श्रीहरि रथों की संख्या 50 से बढाकर 75 करने तथा प्रशिक्षण देकर 1 हजार नए सेवाव्रती कथाकार तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। संस्था के इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने वाले दान दाताओं का सम्मान ‘संस्कार सम्राट,’ ‘संस्कार रत्न,’ ‘संस्कार विभूषण,’ ‘संस्कार भूषण’ तथा ‘संस्कार श्री’ की उपाधि देकर किया जायेगा। इस पूरे कार्यक्रम का लाइव प्रसारण सुभारती चैनल पर किया जायेगा जहाँ देश विदेश के लोग इसे देख सकेंगे।

एकल श्रीहरि ने अपने इस रजत जयंती वर्ष में गायों की रक्षा तथा उनके संरक्षण के लिए एक वृहद् कार्य योजना प्रारम्भ किया है। जिसके प्रमुख श्री रमेश सरावगी जी हैं। उनके अनुसार दूध न देने वाली गायों और उनके बछड़ों को किसानों की अर्थव्यवस्था से जोड़ने का कार्य किया जायेगा। किसान इन गौ-वंशों का पालन कर उनके अपशिष्ट से बने उत्पाद का व्यवसाय करे गौ-वंश को अपनी आर्थिक उन्नति का आधार बना सकेंगे। इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित करने का कार्य भी संस्था करेगी। गौसेवा योजना के प्रथम चरण में झारखण्ड तथा पश्चिम बंगाल के 16 अंचलों में 8 हजार कृषक परिवारों को एक गाय तथा उसके एक वर्ष के रख-रखाव और चारे के लिए 25 हजार रुपये दिए जायेंगे। संस्था द्वारा इसे राष्ट्रव्यापी गौ-सेवा अभियान के रूप में चलाया जायेगा।