लाल किले पर भाषण के दौरान PM पर 'ड्रोन हमले' का खतरा, एजेंसियां आगाह

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नई दिल्ली : स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को लेकर एजेंसियों ने खतरा जताया है. एजेंसियों ने सलाह दी है कि इस बार बुलेटप्रुफ घेरे में पीएम मोदी लाल किले से अपना भाषण दें. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की सलाह के बाद खुफिया एजेंसियां और एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) पीएम की सुरक्षा को लेकर खास इंतजामों में लगे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इस बार खतरा इतना ज्यादा है कि बुलेटप्रुफ घेरा(शीशा) लगाना बहुत ही जरूरी है. इसके साथ ही पिछले दो बार मोदी ने अंतिम समय में बुलेटप्रुफ घेरे को हटाने का आदेश दिया था. लेकिन, इस बार घेरे के साथ ही उनके आसपास सुरक्षा के इंतजाम भी पहले से ज्यादा होंगे.
यहां तक कि आतंकी ड्रोन का इस्तेमाल कर पीएम पर हमला कर सकते हैं.
सूत्रों का कहना है कि इस बार केवल कश्मीर हिंसा या बढ़ती घुसपैठ की घटनाएं ही कारण नहीं हैं. बल्कि, एजेंसियों ने कुछ ऐसे संवाद इंटरसेप्ट किए हैं जिनमें पीएम की सुरक्षा में ड्रोन हमले के जरिए सेंध लगाने की कोशिश की चर्चा है. इसके साथ ही आईएसआईएस के बढ़ते खतरे को भांपते हुए भी सुरक्षा को लेकर खास इंतजाम किए गए हैं.
इसके साथ ही केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने यह भी बताया है कि 15 अगस्त की समारोह के बीच आतंकी संगठन ‘लोन-वॉल्फ अटैक’ (अकेले आतंकी का हमला) कर सकता है. इसके साथ ही अलकायदा और आईएसआईएस के बारे में दो इनपुट एजेंसियों ने जारी किए हैं. जिसमें सेना और पुलिस प्रतिष्ठानों पर हमले की तैयारी की जानकारी है.
सूत्रों का कहना है कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से ही यह परंपरा बन गई थी कि लाल किले पर बुलेटप्रुफ घेरे में ही प्रधानमंत्री का भाषण होगा. लेकिन, सन 2014 में पीएम मोदी ने इस परंपरा को तोड़ा था. इसके साथ ही पिछले वर्ष 2015 में भी उन्होंने खुले में ही भाषण दिया था. इस बार एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौतियां हैं.
सूत्रों का कहना है कि करीब 5 हजार सुरक्षाकर्मी पीएम मोदी की सुरक्षा में लगेंगे. इसमें पुलिस, सेना, खुफिया एजेंसियों और एसपीजी के कर्मी शामिल होंगे. इसके साथ ही लाल किले से एक किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी ट्रेंड कमांडो के हाथों होगी. यहीं परिंदे को भी पर मारने की इजाजत नहीं होगी.