भारत की जिस भूमि पर आज हम सब चैनन से सांस लेते हैं और आजाद होने का सुकून पा रहे हैं. वह हमें ऐसे ही आसानी से नहीं मिली है. आजादी के लिए देश के वीरों ने अपना बलिदान दिया है. लाखों लोगों की शहादत के बाद हम इस पुण्यभूमि पर गर्व के साथ रहने का सुख पा रहे हैं.
वर्षों तक चली इस लड़ाई में 13 अक्टूबर 1883 का दिन बेहद अहम है. ये दिन महान क्रांतिकारी शहीद पंडित कांशीराम की 140वीं जयंती के रूप में याद किया जाता है. पंडित कांशीराम की जयंती पर हम उन्हें नम आंखों से श्रृद्धांजलि देते हैं. ग़दर पार्टी के संस्थापक सदस्य और पहले खजांची पंडित कांशीराम की कहानी किसी भी तरह के ज़ुल्म और शोषण के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देती है.
पंडित कांशीराम को ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हथियार उठाने और अपनी आवाज़ बुलंद करने के लिए अंग्रेज़ों ने 27 मार्च 1915 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया था. आज़ादी की लड़ाई में ग़दर पार्टी का बहुत बड़ा योगदान रहा है.
ग़दर पार्टी के सदस्य देश के अग्रणी क्रांतिकारियों में से थे, जिन्होंने विदेशों में रहने वाले भारतीयों को देश की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के लिये प्रेरित और प्रोत्साहित किया. इसकी स्थापना 1913 में हुई थी. ग़दर पार्टी की स्थापना में बाबा सोहन सिंह भरना, लाला हरदयाल और पंडित कांशीराम का बड़ा योगदान था.
ग़दर पार्टी के संस्थापकों ने इस संगठन के माध्यम से अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के बीच स्वतंत्रता की भावना पैदा की और भारत में स्वाधीनता संग्राम को गति दी. ग़दर पार्टी के क्रांतिकारी सैनिक छावनियों में जा कर भारतीय सैनिकों को सशस्त्र विद्रोह की योजना में शामिल करने का प्रयास कर रहे थे. इस योजना को लागू करने में पैसे की कमी आड़े आने लगी तो पंडित कांशीराम के नेतृत्व में कुछ क्रांतिवीरों ने 25 नवंबर 1914 को सरकारी ख़ज़ाना लूटने की योजना बनाई.
पंडित कांशीराम जब अपने साथियों के साथ अपनी योजना को अंजाम देने जा रहे थे तो ब्रिटिश पुलिस उनकी मुठभेड़ से हो गई. इस मुठभेड़ में क्रांतिकारियों की गोली से एक एक सब इंस्पेक्टर और एक अन्य पुलिसकर्मी की मौत हो गई. इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी की और पंडित कांशीराम व उनके क्रांतिकारी साथियों को पकड़ लिया.
इसके बाद जैसा कि हर क्रान्तिकारी के साथ होता है, अंग्रेज़ों ने पहले मुकदमा चलाने का नाटक किया और 27 मार्च 1915 को लाहौर सेंट्रल जेल में पंडित कांशीराम उनके क्रांतिकारी साथियों को फाँसी दे दी. स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति, समस्त देशवासियों की तरफ से पीढ़ियों को प्रेरणा देने वाले अदम्य साहस और देशभक्ति के लिए पंडित कांशीराम की 140 वीं जयंती पर शत्-शत् नमन करती है.
स्वतंत्रता आंदोलन यादगार समिति
- डॉ.रवि भूषण.
- डॉ.नीलम मुरलीधर.
- डॉ. अपर्णा शर्मा.
- आरिफ़ नकवी.
- इक़बाल हैदर.
- प्रवीण तिवारी.
- प्रदीप शर्मा.
- प्रजा डबराल.
- डॉ. पंकज शर्मा.
- वीरेंद्र खत्री.
- फसुउद्दीन.
- सुरेश भागवत.
- गौरी कुलकर्णी.
- प्रवीण शर्मा.
- प्रशांत सी बाजपेयी.
- प्रणब त्रिपाठी.