कोरोना वायरस से अब हर कोई परेशान हो चुका है। हर कोई चाहता है कि जिंदगी पहले ही तरह सामान्य हो जाए। ऐसे में जरूरी है कि हम सब लोग आगे बढ़कर कोरोना की वैक्सीन लगवाएं। क्योंकि वैक्सीन ही ऐसा एकमात्र इलाज है जो हमें इस खतरनाक वायरस से सुरक्षित रख सकता है। बता दें कि वैक्सीन को लेकर भी कई स्टडीज की जा रही हैं। लगातार एक के बाद एक नई स्टडी सामने आ रही है। इस बीच देखा जा रहा है कि कोरोना की चपेट में आकर इसको मात देने के बाद लोग कोरोना की वैक्सीन लगवा रहे हैं। जिसको लेकर कई सवाल किए जा रहे हैं। लोगों का सवाल है कि ऐसा करने से कोई खतरा तो नहीं है.?
इस सवाल का जवाब भी सामने आचुका है। हाल ही में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्र ने इस बात का जवाब दिया है। उन्होंने बताया है कि कोरोना से रिकवर होने के बाद शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज (Antibodies) बन जाती हैं। जो साल भर के लिए हमें कोरोना से बचा सकती हैं। उन्होंने कहा कि “कोरोना वैक्सीन के अलावा विश्व भर में वैक्सीन की बूस्टर डोज (Booster Dose) को लेकर भी बहस छिड़ी हुई है. इस पर वैज्ञानिक बहस कर रहे हैं कि कोरोना के किसी भी डोज या नए संक्रमण से बचाव के लिए और शरीर को और भी मजबूत स्थिति में लाने के लिए बूस्टर डोज लगाना सही हो सकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि “कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन कोरोना होने के बाद बनी एंटीबॉडीज के बाद अगर वैक्सीन भी लगवा ली जाती है तो यह निश्चित ही शरीर में एक बूस्टर डोज का काम करेगी। ऐसा वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इससे व्यक्ति का शरीर कोरोना के म्यूटेशन या नए वेरिएंट की चपेट में आने से बचेगा।” वहीं, दूसरी ओर आईसीएमआर के डॉ. एन के अरोड़ा ने भी अपना बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि “अगर कोरोना से उबरे व्यक्ति को वैक्सीन भी लगा दी जाए तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी ज्यादा अच्छी हो जाती है। जिसकी वजह से उस पर कोरोना के किसी भी वेरिएंट का प्रभाव मुश्किल हो जाता है।”