देश में तेज़ी से बढ़ रहा कोरोना वायरस लोगों के लिए बड़ी समस्या का कारण बनता जा रहा है। सिर्फ लोग ही नहीं बल्कि सरकार भी इससे तंग आ चुकी है। हालांकि अभी तक इससे थोड़ा बहुत भी काबू नहीं पाया गया है। देश में लगातार कोरोना के मरीजों में इजाफा देखने को मिल रहा है। देश के बिगड़ते हालात के कई कारण हैं। इस दौरान मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सभी मुद्दों पर बातचीत की। कोर्ट में वैक्सीन के दाम, टीकों की उपलब्धता, ऑक्सीजन समेत कुछ मुद्दों पर बहस छिड़ी और सरकार से जवाब मांगे गए।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को 30 अप्रैल तक का समय दिया है। 30 अप्रैल तक केंद्र को अपना जवाब दाखिल करना होगा। बता दें कि केंद्र ने भी इस बात पर हामी भरी है। केंद्र ने कहा कि वह 30 अप्रैल तक सारे सवालों के जवाब दे सकती है। इस बीच केंद्र से राष्ट्रीय योजना के बारे में भी पूछा गया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि “जब हमें लगेगा कि लोगों की जिंदगियां बचाने के लिए हमें हस्तक्षेप करना चाहिए, तब हम ऐसा करेंगे। संकट से निपटने के लिए आपकी राष्ट्रीय योजना (Covid-19 National Plan) क्या है? क्या इससे निपटने के लिए टीकाकरण मुख्य विकल्प है?”
कोर्ट ने आगे कहा कि “राष्ट्रीय संकट के समय यह अदालत मूकदर्शक नहीं रह सकती। हमारा मकसद है कि हम हाईकोर्ट्स की मदद के साथ अपनी भूमिका अदा करें। हाईकोर्ट्स की भी अहम भूमिका है। इन सुनवाइयों का उद्देश्य हाईकोर्ट का दमन करना या उनके काम में दखलंदाजी करना नहीं है। उनकी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर क्या हो रहा है, वह इस बारे में बेहतर समझ रखते हैं।” इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट की हर तरह से मदद करेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि “यदि क्षेत्रीय सीमाओं के कारण किसी मुद्दे से निपटने में हाईकोर्ट को कोई कठिनाई होती है, तो हम मदद करेंगे।”