कोरोना वायरस का प्रकोप देश में तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। इस बीच माना जा रहा है कि कोरोना वायरस और भी ज्यादा तबाही मचा सकता है। हालांकि इस बीच भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास का कहना है कि एक से 15 फरवरी के बीच कोरोना की तीसरी लहर के चरम पर पहुंचने की संभावना है। ‘आर-शून्य’ का जिक्र करते हुए आईआईटी मद्रास के गणित विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जयंत झा ने ये बयान जारी किया है। उन्होंने बताया है कि इस समय भारत में ‘आर-शून्य’ चार दर्ज किया गया है। बता दें कि ‘आर-शून्य’ मान अगर एक से नीचे चला जाता है तो इस महामारी को खत्म माना जाता है।
डॉ. जयंत झा ने जानकारी देते हुए बताया कि “आर0 तीन चीजों पर निर्भर करता है – प्रसार की आशंका, संपर्क दर और संभावित समय अंतराल जिसमें संक्रमण हो सकता है। अब पृथक वास के उपायों या पाबंदियां बढ़ाए जाने के साथ हो सकता है कि संपर्क में आने की दर कम हो जाए और उस मामले में आर0 कम हो सकता है। हमारे प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर हम यह संख्या बता सकते हैं लेकिन यह संख्या बदल सकती है जो इस पर निर्भर करता है कि लोगों के एकत्रित होने तथा अन्य चीजों के संबंध में कितनी निर्णायक कार्रवाई की जाती है।”
उन्होंने कहा कि “मेरे आकलन के अनुसार कोरोना वायरस की मौजूदा लहर एक से 15 फरवरी के बीच चरम पर पहुंच सकती है और इसके पहले की लहरों की तुलना में तेज रहने की आशंका है। यह लहर पहले की लहरों से अलग होगी। टीकाकरण एक कारक है। लेकिल इस बार सामाजिक दूरी जैसे उपाय कम देखे गए हैं। लेकिन यहां फायदा यह है कि इस बार करीब 50 फीसदी आबादी का टीकाकरण हो गया है।”