चुनावी वादों को लेकर मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी, बुनियादी सुविधाओं को…

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विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों शोरों से चल रही है। ऐसे में सभी उम्मीदवारों की कोशिश है कि वह जानता की नजर में रहें, जिससे जनता उनको भरपूर वोट दे। ऐसे में जनता का दिल जीतने के लिए उम्मीदवार कई तरह के वादे भी कर रहे हैं। ऐसे वादे जो शायद ही कोई पूरे कर सके। इन वादों पर मद्रास हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि कोई भी उम्मीदवार ऐसे गलत वादे नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे बेहतर है कि उम्मीदवार बुनियादी सुविधाओं को मैनिफेस्टो में शामिल करें।

बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस एन. किरुवकरन और जस्टिस बी. पुगलेंधी ने कहा कि “उम्मीदवारों को फ्री लैपटॉप, टीवी, पंखे, मिक्सी और अन्य चीजों के बजाय बुनियादी सुविधाओं को मैनिफेस्टो में शामिल करना चाहिए। बेहतर है कि राजनीतिक पार्टियों के प्रत्याशी ऐसे मुफ्त सामान देने के वादे की जगह मतदाताओं को पानी, बिजली, स्वास्थ्य और ट्रांसपोर्ट सुविधाएं बेहतर करने के वादे करें। साथ ही चुनाव जीतने पर उन वादों को पूरा भी करें।” कोर्ट ने कहा कि “राज्य में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। आलम ये है कि इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स नौकरी के लिए सरकारी दफ्तरों में सफाईकर्मी बनने तक को तैयार हैं।”
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इसके बाद कोर्ट ने चुनावी सुधारों पर लगातार कई सवाल खड़े किए। कोर्ट ने कहा कि “हम जानना चाहते हैं कि क्या चुनाव घोषणापत्रों में तर्कसंगत वादे करने को लेकर चुनाव आयोग द्वारा कोई कदम उठाए गए हैं? क्या इस तरह के घोषणापत्रों की जांच करने और राजनीतिक दलों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार कोई कानून लाने का प्रस्ताव रखती है?” गौरतलब हैं कि देश के 4 राज्य पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। तमिलनाडु में 6 अप्रैल को वोटिंग है। जिसको लेकर कई उम्मीदवार तरह तरह के वादे कर रहे हैं।