बीते शुक्रवार को जांजगीर-चांपा जिले के पिरहिद गांव में अपने ही घर के खुले बोरवेल में गिरे एक बच्चे को बचा लिया गया है। जानकारी के अनुसार इस बच्चे का नाम राहुल है और वह महज 10 साल का है। इस बच्चे को बचाने में सबसे बड़ी परेशानी तो ये रही कि वह ना तो बोल सकता था और न ही सुन सकता था। यह बच्चा 10 जून को 4 बजे करीब इस बोरवेल में गिरा था। जिसके करीब 104 घंटे बाद भारतीय सेना के जवानों की मदद से बाहर निकल लिया गया है और साथ ही उसे अस्पताल भी भेज दिया गया है। जानकारों की माने तो इस दौरान उसके मां बाप भी उसके साथ मौजूद थे।
बता दें कि देश में अब तक बच्चों के बोरवेल में गिरने की बहुत सी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन ये घटना सबसे ज्यादा लंबे समय तक चली है। इससे पहले साल 2006 में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में प्रिंस को 50 घंटों की मुशक्कतों के बाद बाहर निकाला गया था। गोरतलब हैं कि एनडीआरएफ, सेना, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित 500 से अधिक कर्मी शुक्रवार शाम से चल रहे व्यापक बचाव अभियान में शामिल थे। लेकिन फिर भी राहुल हो बाहर निकलने में इतना टाइम लगा।
बोरवेल की गहराई 65 फीट बताई जा रही है। बच्चे की जिंदगी को बचाने की इस प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पूरी नजर रखे हुए थे। बच्चे के बाहर आते ही उन्होंने ट्वीट किया कि “चुनौती बड़ी थी। हमारी टीम भी कहां शांत खड़ी थी। रास्ते अगर चट्टानी थे। तो इरादे हमारे फौलादी थे। सभी की दुआओं और रेस्क्यू टीम के अथक, समर्पित प्रयासों से राहुल साहू को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। वह जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, ऐसी हमारी कामना है।”