कोलकाता : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज बांग्ला भाषी श्रोताओं के लिए ‘आकाशवाणी मैत्री’ चैनल और उसकी वेबसाइट का उद्घाटन किया। इस पहल से भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के कार्यक्रमों के लिए मंच मुहैया होगा और बंगाली संस्कृति का संरक्षण होगा।
कोलकाता में चैनल का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, ‘आकाशवाणी मैत्री’ और इसकी मल्टीमीडिया वेबसाइट पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और उसके आसपास के इलाकों में बांग्ला भाषी श्रोताओं के लिए ही नहीं वरन समूचे विश्व में अलग-अलग हिस्सों में रह रहे बांग्ला भाषी लोगों के लिए एक अनूठी पहल है।
राष्ट्रपति ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत और बांग्लादेश महज पड़ोसी नहीं हैं बल्कि वे जातीयता एवं रिश्तों से भी जुड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘अपने साझा इतिहास, विरासत, संस्कृति, भाषा, भौगोलिक समानता के कारण भारत ने हमेशा से ही बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को सर्वोच्च महत्व दिया है।’ उन्होंने कहा कि दोनों देश साथ मिलकर समूचे उपमहाद्वीप और उससे इतर विकास और समृद्धि के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के दौरान लिये गये फैसले से चैनल की अवधारणा निकली थी जहां दोनों पक्षों ने अपने प्रसारण संस्थानों के बीच विषयवस्तु साझा करने की सहमति जताई थी। चैनल का प्रसारण देश के नए अत्याधुनिक उच्च शक्ति वाले 1000 केडब्ल्यू डीआरएम ट्रांसमीटर के जरिए समूचे बांग्लादेश में मीडियम वेव पर व्यापक पहुंच एवं क्षमता के साथ होगा और यह वेबसाइट एवं मोबाइल ऐप के जरिए वैश्विक तौर पर भी उपलब्ध होगा।
राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि 1971 से ही बांग्लादेश के लाखों लोगों के दिलों में आकाशवाणी की एक खास जगह है, जब बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के मद्देनजर बांग्ला भाषा में एक विशेष सेवा शुरू की गई थी। उन्होंने उस समय का स्मरण करते हुए कहा कि मुक्ति संग्राम के दौरान इस चैनल ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा कि नया चैनल समग्र बंगाली सांस्कृतिक विरासत के प्रचार एवं प्रसार और संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकता है, जो सभी बांग्ला भाषी लोगों के लिए एक विरासत की तरह है और वे चाहे जहां भी रहते हों उनके लिए बेहद गर्व की बात है।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि कला, संस्कृति, साहित्य, संगीत, खेल एवं साझा सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के क्षेत्र में भारत और बांग्लादेश दोनों देशों की विषयवस्तु का संगम इस चैनल को खास बनाएंगे, जो दोनों देशों के श्रोताओं के लिए उपयोगी होगा।’ उन्होंने कहा कि दक्षेस की पहलों की पूर्ण क्षमता को साकार करने में भारत और बांग्लादेश मिलकर काम कर सकते हैं।