गंगा को साफ रखने के लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत 1500 करोड़ से उत्तराखंड में 250 करोड़ की लागत की 43 योजनाओं का शिलान्यास बृहस्पतिवार को हरिद्वार में किया गया। इस परियोजना के तहत उत्तराखंड के उत्तरकाशी, गंगोत्री, यमुनोत्री, श्रीनगर, देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, बदरीनाथ में गंगा सफाई के लिए काम होगा।
इस मौके पर केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्री उमा भारती ने दावा कि अक्तूबर 2016 से गंगा सफाई का असर दिखाई देगा। वर्ष 2018 तक गंगा पूरी तरह से साफ हो जाएगी। कार्यक्रम के दौरान नमामि गंगे गान, वेबसाइट, एप भी लॉच किए गए।
बृहस्पतिवार को हरिद्वार के ऋषिकुल मैदान में योजनाओं के शुभारंभ के अवसर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, उमा भारती और महेश शर्मा ने योजना को मूर्त रूप देने की बात कही।
मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हरीश रावत ने योजनाओं में पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया, लेकिन योजना को आधी-अधूरी बताते हुए अन्य सहायक नदियों और अन्य प्रोजेक्ट शामिल करने की बात उठाई।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आश्वासन दिया कि गंगा के लिए मायके वालों को जो जिम्मेदारी दी गई है उसे वह बखूबी निभाएंगे। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में शिव के लिए वह विशुद्ध गंगाजल देंगे। उन्होंने नमामि गंगे के तहत शामिल किए गए 143 गांवों के अलावा पूरे प्रदेश के गांवों को जोड़ने की बात कही।
उन्होंने कहा कि जब तक योजना में प्रदेश के समस्त गांव और गंगा की सहायक नदियों को नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक गंगा की पूरी शुद्धता की बात बेमानी होगी। उन्होंने ऋषिकेश के मुनिकीरेती से हरिद्वार के रानीपुर झाल तक इंटरसेप्टर कैनाल बनाने की बात उठाई। उन्होंने कहा कि गंगा के किनारे बसे शहरों के पानी को डालने के लिए इंटरसेप्टर कैनाल की जरूरत है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि प्रदेश सरकार के पास विजन होना चाहिए। आय के अनेक साधन प्रदेश में होते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में चल रहे बायोगैस, कटे हुए बालों से एमिनो एसिड, गंगा के जल की बिक्री योजना, प्रदूषित पानी से मिथेन निकालकर बिजली बनाने सहित कई ऐसी योजनाएं गिनाई जिससे प्रदेश की आमदनी के साथ रोजगार भी बढ़ाया जा सकता है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता के लिए मदन मोहन मालवीय के अभियान के पूरे 100 साल बाद अभियान शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि गंगा के नाम पर कोई भी मतभेद नहीं रखता। उन्होंने कहा कि नमामि गंगे योजना के तहत घाट, पौधरोपण, नाले निर्माण, सफाई, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाले कचरे आदि का इंतजाम किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अब तक गंगा सफाई के नाम पर जो 4 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए है उन्हें व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो यह कहते है कि पूजा, फूल सामग्री आदि से गंगा मैली होती है वे गलत हैं। गंगा सीवरेज, शहरों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाली गंदगी से गंदी होती है।
उन्होंने गंगा सफाई के लिए एक्ट बनाने की बात कही। कहा कि एक्ट में कड़े नियमों का प्रावधान करते हुए गंदगी करने वालों को जेल भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सीवर के ट्रीटमेंट पानी को गंगा में नहीं छोड़ा जाएगा, बल्कि सिंचाई सहित अन्य कार्यों के उपयोग में लाया जाएगा।