नोएडा से बिहार का 1000किमी का सफ़र,जेब मे मात्र 10 रुपये,सुनिए कैसे मज़दूर गया घर..

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देश में कोरोना वायरस के संकट को देखते हुए लॉकडाउन को बढ़ाकर 17 मई तक कर दिया गया है।ऐसे में विभिन्न राज्यों के प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए हैं और कोई भी काम ना होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी बेहद खराब हो चुकी है। तमाम मजदूर जैसे तैसे बिना कुछ सोचे विचारे अपने घर की तरफ निकल चुकी है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में मजदूरी का काम कर रहे हैं 20 वर्षीय ओमप्रकाश भी नोएडा से लगभग 1000 किलोमीटर दूर बिहार जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं।जिनकी कहानी सुनकर आपका दिल भर जायेगा।

ओमप्रकाश करीब 200 किलोमीटर का पैदल सफर तय कर आगरा तक पहुंचा और फिर करीब 350 किमी दूर लखनऊ तक जाने के लिए ट्रक के साथ निकला।लखनऊ पहुंचकर ट्रकवाले को पैसे देने के बाद प्रवासी मजदूर के पास सिर्फ 10 रुपए बचे अभी भी घर जाने के लिए उसे सैकड़ों किलोमीटर चलना है, लेकिन पैसे बिल्कुल भी नहीं बचे। एक समाचार चैनल से बात करते हुए आंखों में आंसू ने ओमप्रकाश ने बताया कि,मुझे ट्रक ड्राइवर को आगरा से लखनऊ तक आने के लिए 400 रुपए देने पड़े. मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं।” करीब 200 मीटर की दूरी पर पुलिस वाले खड़े हुए थे, जहां उन्होंने एक खाली ट्रक को रोका और उनमें से एक कॉन्सटेबल ने कहा, ”इन प्रवासी मजदूरों को पास के रेलवे स्टेशन पर छोड़ दो।वहां कई बसें हैं और सब व्यवस्था हो जाएगी। इन्हें कहीं और मत ले जाना।’

ओमप्रकाश जैसे हजारों प्रवासी लखनऊ के पास एक टोल प्लाजा पर घूम रहे हैं, अपने मूल राज्यों में वापस जाने की उम्मीद में सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल रहे हैं। कुछ ने ट्रक चालकों को भारी रकम चुकाने के बाद लखनऊ पहुंचे। ज्यादातर लोगों के पास पैसे नहीं बचे, और घर अभी भी सैकड़ों किलोमीटर दूर है।उसने आगे बताया कि,कुछ दूरी पर एक ट्रक ड्राइवर जिसका नाम महेंदर कुमार है, वह ट्रक के नीचे खाने के लिए दाल-बाटी बना रहा है।उसे खुद के लिए, अपने हेल्पर और ट्रक में आगरा से लखनऊ तक साथ सफर करने वाले प्रवासी मजदूर के लिए खाना बनाया और सबको बिना किसी शुल्क के खिलाया। कोई पैसे न लेने की बात पर ड्राइवर ने कहा कि,”मेरा जमीर गवाह नहीं देता। कोई भी उनके साथ सहानुभूति रखेगा। सड़कों पर चलने वालों की संख्या का कोई अंत नहीं है; हजारों की संख्या में हैं।”