हाल ही में मुंबई में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक (PMC) में वित्तीय गड़बड़ियों की वजह से रिज़र्व बैंक में खाता धारकों को हज़ार रुपए से ज़्यादा निकालने पर रोक लगा दी थी। जिसकी वजह से बैंक के हर ब्रांच में भीड़ लगी थी और लोग जमकर उसका विरोध कर रहे थे। इस वजह से रिज़र्व बैंक ने ग्राहकों को राहत देते हुए कहा कि अब 6 महीने में 10 हज़ार रुपये तक निकाले जा सकेंगे। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की शिक़ायत के आधार पर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अधिकारियों के ख़िलाफ़ धोख़ाधड़ी और आपराधिक साज़िश का मामला दर्ज किया है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार 2008 से बैंक का घाटा 4,355.46 करोड़ हो चुका है। बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह, प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा एचडीआईएल के निदेशक वाधवन का नाम एफआईआर में है एफआईआर में कहा गया है कि एचडीआईएल के प्रवर्तकों ने बैंक के प्रबंधन के साथ साज़िश के तहत भांडुप शाखा से क़र्ज़ लिया और क़र्ज़ का भुगतान ना होने के बावजूद बैंक के अधिकारियों ने एचडीआईएल के ऋण को गैर निष्पादित आस्तियों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया।
इस ज़रूरी सूचना को रिज़र्व बैंक अधिकारियों से छिपाने के साथ-साथ कंपनियों के जाली खाते भी तैयार किए गए। जिनके द्वारा थोड़ा-थोड़ा क़र्ज़ लिया गया। साथ ही नियामकीय निगरानी से बचने के लिए बैंक की जाली रिपोर्ट भी बनाई गई। इन लोगों के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 409 (सरकारी कर्मचारी या बैंकर द्वारा विश्वास का आपराधिक हनन) 420 (धोखाधड़ी) 465, 466 और 471 (जालसाज़ी से संबंधित) के अलावा 120-b (आपराधिक साज़िश) के तहत मामला दर्ज किया गया है।