दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार ने फंसाया पेंच

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नई दिल्ली: दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार को लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को नया अध्यादेश जारी किया है. नया अध्यादेश कहता है कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर अंतिम फैसला उपराज्यपाल का होगा. केंद्र सरकार यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट उस फैसले के बाद लाई है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेंगे. अब केंद्र ने अपने अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया है.

क्या होता है अध्यादेश?
जब सरकार किसी विशेष परिस्थिति से निपटने के लिए कानून बनाना चाहती है तो पहले अध्यादेश लाती है. यह एक तरह का आधिकारिक आदेश होता है. इसे तब लाया जाता है जब सरकार आपातस्थिति में किसी कानून को पास कराने की योजना बनाती है, लेकिन उसे अन्य राजनीतिक दलों का समर्थन नहीं मिल रहा होता. ऐसे में सरकार उस अध्यादेश के जरिए कानून को पास करा सकती है.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत सरकार के कहने पर राष्ट्रपति द्वारा उस समय अध्यादेश जारी किया जाता है जब सदन में कोई सत्र न चल रहा हो. यह राष्ट्रपति का विधायी अधिकार होता है. एक अध्यादेश की अवधि 6 हफ्ते की होती है. जिसे केंद्र सरकार इसे पास करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजती है.

  • केंद्र सरकार के अध्यादेश में 4 बड़ी बातें कही गई हैं. पहला, दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए एक नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी बनाई जाएगी.
  • इस अथाॉरिटी में दिल्ली के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और गृह विभाग के सचिव को शामिल किया जाएगा. कोई भी फैसला बहुमत के आधार पर होगा.
  • अथॉरिटी की मीटिंग में अगर मुख्यमंत्री नहीं शामिल होते हैं तो भी बैठक मान्य होगी और अथॉरिटी की सभी सिफारिशें उपराज्यपाल के पास भेजी जाएंगी. और अंतिम फैसला उन्हीं का होगा.
  • हालांकि, यह उपराज्यपाल पर निर्भर होगा कि वो उन सिफारिशों को मानते हैं या नहीं. दिल्ली की विधानसभा के पास केंद्र और राज्य के अधिकारियों को लेकर उस मामले में कोई भी कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा.

ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर लम्बे समय से मामला फंसा रहा है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला आप सरकार के पक्ष में सुनाते हुए कहा कि अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग पर दिल्ली सरकार का अधिकार है. कोर्ट ने अपने आदेश में दो बड़ी बातें कहीं. पहली, दिल्ली में कानून व्यवस्था, जमीन से जुड़े मामले, पब्लिक ऑर्डर और पुलिस पर तो केंद्र का अधिकार है, लेकिन अन्य मामलों में प्रशासनिक अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दिल्ली की आप सरकार के लिए बड़ी जीत बताया गया.

अब आगे क्या होगा?
अब अगले छह माह के अंदर केंद्र को यह अध्यादेश सदन में पेश करना होगा. अगर ये पारित हो जाता है जो यह कानून में बदल जाएगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो यह समाप्त हो जाएगा. हालांकिश् सरकार दोबारा भी अध्यादेश जा सकती है. अगर यह कानून बन जाता है तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं लागू होगा और ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार उपराज्यपाल के पास आएंगे क्योंकि ऐसे हालात में अंतिम फैसला उन्हीं का मान्य होगा.