पश्चिम बंगाल का नाम जल्द ही बदल सकता है. राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने मीडिया को बताया, ‘हमने पश्चिम बंगाल का नाम फिर से अंग्रेजी में ‘बंगाल’ और बंगाली में ‘बंग’ या ‘बांग्ला’ रखने का प्रस्ताव किया है. इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा. 29 व 30 अगस्त को सदन में इस पर चर्चा होगी और हम सभी दलों से इसे स्वीकार करने का आग्रह करेंगे जिसके बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा.’
उन्होंने यह भी बताया कि यह कोई नई मांग नहीं है और इसकी वजह अंग्रेजी की वर्णमाला है. राज्य के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जब सभी राज्यों के सम्मेलन आयोजित होते हैं तो उसमें पश्चिम बंगाल के वक्ताओं को काफी देर से बोलने का मौका मिलता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन सम्मेलनों में वक्ताओं को अंग्रेजी की वर्णमाला के क्रम में बोलने के लिए बुलाया जाता है. इस वजह से उन्हें अपने विचारों को रखने के लिए अक्सर काफी कम वक्त मिल पाता है और उस वक्त वे काफी थके हुए भी होते हैं.
राज्य सरकार इससे पहले साल 2011 में भी राज्य का नाम बदलने का प्रयास कर चुकी है लेकिन तब उसे केंद्र से इसकी अनुमति नहीं मिल पाई थी.