5 खामियां और चली गईं 135 जानें, कौन है मोरबी का जिम्मेदार?

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गुजरात के मोरबी में 135 लोगों की जान लेने वाले पुल की जांच जारी है। खबर है कि जांच में पांच खामियां सामने आई हैं, जिनकी वजह से यह दर्दनाक हादसा हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना की विस्तृत और व्यापक जांच की बात कही है। फिलहाल, इंजनीयर और बड़े जानकारों के साथ पुलिस की जांच जारी है। दल मिलकर सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। इसे लेकर रिपोर्ट जल्दी सामने आ सकती है।

ये हैं पांच खामियां
रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने जानकारी दी है कि जल्दबाजी में ब्रिज खोलने के लिए हुए रिनोवेशन अयोग्य सब-कॉन्ट्रैक्टर, ब्रिज की सतह पर एल्युमिनियम की परतें लगाना (जिससे पुल का वजन बढ़ गया) लेकिन केबल को मजबूत नहीं करना, अनियंत्रित रूप से लोगों का आना जाना और कोई आपातकालीन योजना नहीं होना, ये पांच खामियां जांच में सामने आई हैं।

जल्दबाजी:  गुजराती नववर्ष और त्योहार के समय का फायदा उठाने के लिए तय समय से पहले पुल को खोला गया, जो संकेत देता है कि काम पूरा नहीं हुआ था। खबर है कि पुल को खोलने की योजना दिसंबर की थी, लेकिन इसे अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में खोला गया। ब्रिज की ताकत जांचने के लिए ‘लोड टेस्ट’ नहीं किया गया और न ही फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल किया गया।

वजन: रिनोवेशन के दौरान पुल के फर्श का काम दोबारा किया गया था। एल्युमिनियम की चार परतें लगाई गई, जिससे पुल का वजन बढ़ गया। लेकिन केबल को न मजबूत किया और न बदला गया। खबर है कि नया दिखाने के लिए उसपर केवल पेंट किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका मतलब है कि पुल पहले से भी ज्यादा भारी हो गया, जिससे केबल को ज्यादा लोगों की मौजूदगी में भार संभालने में मुश्किलें हुईं।

अयोग्यता: खास बात है कि ओरेवा कंपनी लंबे समय से ब्रिज का काम देख रही थी। इस बार रिनोवेशन का काम सब कॉन्ट्रेक्ट के जरिए दो अन्य ठेकेदारों को दिया गया था। बताया जा रहा है कि दोनों इस काम के लिए योग्य नहीं थे।

अनियंत्रित भीड़: नई परतों के चलते पहले ही पुल भारी हो गया था। ऐसे में अनियंत्रित रूप से लोगों की एंट्री ने हालात और बिगाड़ते दिखे। खबर है कि वहां कुछ ही सिक्योरिटी गार्ड मौजूद थे, जो पुल पर जाने से भीड़ को नहीं रोक रहे थे। घटना के दिन बड़ी संख्या में टिकट बेचे गए और क्षमता से ज्यादा लोगों को पुल पर गए।

रेस्क्यू प्लान: रिपोर्ट के मुताबिक, किसी भी तरह की दुर्घटना की स्थिति से बचने के लिए ओरेवा ग्रुप के पस आपातकालीन योजना या रेस्क्यू प्लान नहीं था। कहा जा रहा है कि लाइफ जैकेट्स के साथ बमुश्किल कोई नौकाएं या गोताखोर मौजूद थे।