44 बार जेल जाकर भी किसानों के साथ खड़े रहे राकेश टिकैत, ऐसे ही नहीं बने…

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कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन काफी लंबे समय से चल रहा है। ऐसे में 26 जनवरी को निकाली गई ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस और किसानों के बीच हिंसा हुई। जिसके बाद से ही दिल्ली पुलिस बॉर्डर खाली करवाने की कोशिश में जुटी हुई है। इस बीच किसानों की बॉर्डर से हटाने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर तीन कंपनी CAPF, 6 कंपनी PAC और 1000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया था। जिसको देख किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) घबरा गए और भावुक होकर आत्महत्या करने की धमकी दे दी।

भारी संख्या में तेनात पुलिस को देख किसान नेता राकेश टिकैत घबरा गए, लेकिन फिर भी अपनी मांग पर अड़े रहे। इस बीच मीडिया को दिए गए इंटरव्यू में वह रो गए और उन्होंने कहा कि “मैं आत्महत्या कर लूंगा लेकिन इस आंदोलन को ख़तम नहीं होने देंगे।” उनके रोने की यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। जिसको देख अब और भी लोग किसानों के समर्थन में आ चुके हैं। बता दें कि राकेश टिकैत अपनी अब तक की ज़िन्दगी में 44 बार जेल जा चुके हैं। वह हमेशा से ही किसानों को हक दिलाने के लिए खड़े रहे हैं। मध्यप्रदेश के भूमि अधिकरण कानून के खिलाफ आंदोलन के चलते राकेश टिकैत 39 दिनों तक जेल में रहे थे।

बता दें कि राकेश टिकैत को किसानों का साथ विरासत में मिला है। उनके पिता भी किसानों के मसीहा थे। उनका परिवार कई दशकों से किसानों के हकों की लड़ाई लड़ता आया है और आज भी लड़ रहा है। राकेश ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई करने के बाद एलएलबी भी किया है। साल 1992 में उन्होंने कांस्टेबल की नौकरी करी। साल 1993- 94 में लालकिले पर पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था। जिसमें उन्होंने भी हिस्सा लिया। जब सरकार ने इस आंदोलन को ख़तम करने पर दवाब डाला तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और किसानों के साथ शामिल हो गए। जबसे आज तक वह किसानों के साथ खड़े हैं।