हर साल हो रहा ₹20,000 करोड़ का नुकसान, चौंकाने वाला दावा!

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बेंगलुरु. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु को बड़े आईटी हब के रूप में जाना जाता है. बेंगलुरु की आबादी और क्षेत्रफल में भी तेजी के साथ बढ़ोतरी हो रही है. आबादी में 14.5 मिलियन (1.45 करोड़) की असाधारण बढ़ोतरी र‍िकॉर्ड की गई है ज‍िसकी वजह से सड़कों पर वाहनों की संख्‍या में भी बड़ी संख्‍या में वृद्ध‍ि दर्ज की गई है.

अकेले बेंगलुरु शहर में वाहनों की संख्‍या करीब 1.5 करोड़ हो गई है. साल 2023 में ही बेंगलुरु का विस्तार 88 वर्ग किलोमीटर बढ़कर 985 वर्ग किलोमीटर हो गया. इस सब पर आई ताजा स्‍टडी र‍िपोर्ट में दावा क‍िया गया है क‍ि स‍िटी में ट्रैफ‍िक समस्‍या, देरी, भीड़भाड़, सिग्नलों पर ठहराव, समय की हानि, फ्यूल की हानि और संबंधित कारकों की वजह से सालाना ₹19,725 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है.

NDTV की र‍िपोर्ट के मुताब‍िक बेंगलुरु को अपनी हलचल भरे तकनीकी उद्योग और भारी ट्रैफ‍िक स‍िस्‍टम के लिए जाना जाता है. इस सब मामले पर ट्रैफ‍िक एक्‍सपर्ट एम. एन. श्रीहरि और उनकी टीम की ओर से सभी पहलुओं पर गहन अध्‍ययन क‍िया गया है. इसमें खासकर सड़क योजना, फ्लाईओवर, ट्रैफ‍िक मैनेजमेंट और बुनियादी ढांचों की कमी से जुड़े मुद्दों पर गौर किया गया है.

स्‍टडी में दावा क‍िया गया है क‍ि बेंगलुरु शहर में कुल 60 फ्लाईओवर पूरी तरह से चालू हैं. बावजूद इसके बेंगलुरु की सड़कों पर दौड़ते वाहनों के ल‍िए इनकी उपयोग‍िता उनकी रफ्तार को बरकरार रखने में कामयाब नहीं है. वाहनों की आवाजाही बहुत स्‍लो, ट्रैफ‍िक स‍िग्‍नल पर भीड़भाड़, देरी, सिग्नल पर रुकने, फ्यूल नुकसान आद‍ि सभी कारकों को म‍िलाकर सालाना 19,725 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. इतना नहीं ट्रैफ‍िक जाम होने की वजह से देरी से दफ्तर पहुंचने पर लोगों को अपने वेतन में कटौती भी झेलनी पड़ी है. ट्रैफ‍िक में फंसे होने की वजह से लोगों का समय बहुत बर्बाद हो जा रहा है.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आईटी क्षेत्र में रोजगार की वृद्धि के परिणामस्वरूप आवास, शिक्षा जैसी सभी संबंधित सुविधाओं का विकास हुआ है. इससे जनसंख्या में 14.5 मिलियन की असाधारण वृद्धि हुई है और वाहनों की संख्‍या भी बढ़कर 1.5 करोड़ हो गई है.

अनुमान के मुताबिक साल 2023 में बेंगलुरु का विस्तार 88 वर्ग किलोमीटर बढ़कर 985 वर्ग किलोमीटर हो गया. अध्ययन में प्रस्ताव क‍िया गया है कि इस ह‍िसाब से शहर का विस्तार 1,100 वर्ग किलोमीटर तक होना चाहिए.रिपोर्ट में कहा गया है क‍ि दूसरी ओर इस बात पर भी जोर द‍िया गया है क‍ि ज‍िस तरह से आबादी और वाहनों की संख्‍या में बढ़ोतरी हुई है, उसके मुताब‍िक सड़कों का व‍िस्‍तार नहीं हुआ है. सड़क की लंबाई में वृद्धि, वाहन वृद्धि और क्षेत्र वृद्धि के अनुपात में नहीं हो पाई है. सड़क की कुल लंबाई लगभग 11,000 किलोमीटर है जोक‍ि मौजूदा ट्रांसपोर्ट ड‍िमांड के चलते और सफर को तय करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

श्रीहरि और उनकी टीम की स्‍टडी र‍िपोर्ट में यह भी च‍िंता जताई गई है क‍ि जनसंख्या में तेजी से वृद्धि उनकी नौकरी की संभावित गति मौजूदा ढांचागत विकास के साथ मेल नहीं खा पा रही है. इन दोनों के बीच बड़ा अंतर बना हुआ है ज‍िससे अलग-अलग वजहों से भारी आर्थिक नुकसान (अमूर्त) भी हुआ है.

श्रीहरि ने इस दौरान कई प्रस्‍ताव‍ित सुझाव भी द‍िए हैं ज‍िसमें कहा कि इस समस्‍या के न‍िदान के ल‍िए शहर को रेडियल सड़कों, रिंग रोड की जरूरत है, जिसमें विशिष्ट रिंग हों, जिनमें ओआरआर, पीआरआर और एसटीआरआर शामिल हों. इसी तरह हर 5 किमी के लिए एक सर्कुलर रूट भी हो जो बदले में रेडियल सड़कों से जुड़ा हो. र‍िपोर्ट में प्रस्‍ताव‍ित एसटीआरआर योजना का भी ज‍िक्र करते हुए कहा गया है क‍ि इसको काफी समय पहले बनाया गया था लेक‍िन अमल में नहीं लाया जा सका. भूमि अधिग्रहण के मामले की वजह से इसके निर्माण और रखरखाव की लागत में भी बढ़ोतरी हो गई है.

एक्‍सपर्ट की ओर से मौजूदा समाधान ही नहीं बल्‍क‍ि अगले 25 सालों के रोड ट्रैफ‍िक मैनेजमेंट को लेकर अधिक अंडरग्राउंड-बेस्‍ड रोड स‍िस्‍टम का भी सुझाव दिया है. अध्ययन में कहा गया है कि सरकार को महानगरों में मेट्रो के ल‍िए अंडरग्राउंड ट्रांसपोर्ट और हर 1-2 किमी पर सरकारी बसों की उपलब्‍धता की जरूरत पर बल देने का सुझाव भी द‍िया है.

र‍िपोर्ट में सड़क क‍िनारे बनाई गई पार्क‍िंग व्‍यवस्‍था को हटाने का सुझाव भी द‍िया है, ज‍िससे क‍ि फुटपाथ को पैदल यात्री आसानी से उपयोग कर सकें. सड़कों पर वाहनों की आवाजाही को बाधा पहुंचाने में सड़क क‍िनारे बनी पार्क‍िंग बड़ा कारण हैं. अध्‍ययन के दौरान पाया क‍ि पूरे बेंगलुरु शहर में ब‍िना पार्किंग वाली एक भी सड़क नहीं म‍िली.टीम ने स‍िफार‍िश की है क‍ि मेट्रो, मोनोरेल और उच्च क्षमता वाली बसों जैसे बड़े पैमाने वाले ट्रांसपोर्ट स‍िस्‍टम में बढ़ोतरी करने की जरूरत है. प्राइवेट ट्रांसपोर्ट स‍िस्‍टम को कम करने के ल‍िए ऐसा क‍िया जाना चाह‍िए.

 

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