नोटबंदी पर लोकसभा चुनाव से पहले बड़ा खुलासा

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नई दिल्ली – लोकसभा चुनाव के ऐलान के एक दिन बाद 2016 में हुई नोटबंदी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। ये सारा खुलासा आरटीआई के जवाब में हुआ है। आरटीआई से मिली जानकारी मुताबिक, आरबीआई बोर्ड की बैठक नोटबंदी के ऐलान के बस ढाई घंटे पहले शाम 5 बज कर तीस मिनट पर हुई थी और बोर्ड की मंज़ूरी मिले बिना प्रधानमंत्री ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया था। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बोर्ड अल्पकालिक नकारात्मक प्रभाव के बारे में चेतावनी दी थी। आरबीआई ने कहा था कि इससे काले धन के खिलाफ अभियान पर कोई सामग्री प्रभाव नहीं पड़ेगा।

यह जानकारी सूचना के अधिकार कानून के तहत आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक को मिली है। उन्‍होंने यह जानकारी कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट इनिशिएटिव (सीएचआरआई) की वेबसाइट पर डाली है। आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री ने कालेधन पर अंकुश लगने सहित जो कारण गिनाए थे उन्हें केंद्रीय बैंक ने इस कदम की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही नकार दिया था, इसके बावजूद नोटबंदी का फैसला लिया गया। केंद्रीय बैंक ने इस फैसले को लेकर चार अपत्तियां भी दर्ज करायी थी। जिसे सरकार की ओऱ से नजरअंदाज कर दिया गया। इस बैठक में आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर उर्जित पटेल के साथ ही मौजूदा गरवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे। इसके अलावा डिप्टी गवर्नर आर गांधी, एसएस मुंदड़ा तथा अन्य निदेशक अंजलि छिब दुग्गल, नचिकेत मोर, भरत एन दोशी, सुधीर माकंड़ और एसके माहेश्वरी ने भी बैठक में शिरकत की थी।

आरटीआई के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के प्रस्ताव की बहुत सारी बातों से आरबीआई बोर्ड सहमत नहीं था। मंत्रालय के मुताबिक 500 और 1000 के नोट 76 प्रतिशत और 109प्रतिशत की दर से बढ़ रहे थे जबकि अर्थव्यवस्था 30प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। आरबीआई बोर्ड का मानना था कि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए बहुत मामूली अंतर है। आरबीआई के निदेशकों का कहना था कि काला धन कैश में नहीं, सोने या प्रॉपर्टी की शक्ल में ज़्यादा है और नोटबंदी का काले धन के कारोबार पर बहुत कम असर पड़ेगा।

यह भी खुलासा हुआ कि, निदेशकों ने सरकार को चेताया था कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। निदेशक मंडल ने कहा था कि सरकार कैश के उपयोग को कम करने के कदम उठा सकती है। इसी बैठक में आरबीआई के डायरेक्टर्स ने कहा था कि सिर्फ 400 करोड़ रुपए के फर्जी नोट बाजार में हैं, जबकि कुल नकदी 15 लाख करोड़ के आसपास है। ऐसे में यह रकम बेहद छोटी है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। बोर्ड ने सरकार को यह भी बताया था कि, नोटबंदी से दिहाड़ी मजदूर, होटलों और टैक्सी चलाने वालों समेत बस, ट्रेन और हवाई यात्रा करने वालों पर सबसे पहले और ज्यादा असर पड़ेगा। वहीं केंद्र सरकार ने आरबीआई को भरोसा दिलाया था कि वह नकदी के इस्तेमाल को हतोत्साहित करेगा जबकि डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाएगा।