विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन और “एक दीप कवि प्रदीप का” होगा शानदार आयोजन

0
38

नागपुर :  हिंदी काव्य और गीत-संगीत की दुनिया में अमर योगदान देने वाले सुप्रसिद्ध कवि प्रदीप की 110वीं जयंती के अवसर पर विदर्भ हिंदी साहित्य सम्मेलन, नागपुर और कवि प्रदीप फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में “उमंग उपक्रम” द्वारा एक विशेष संगीतमयी कार्यक्रम “एक दीप कवि प्रदीप का” आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम गुरुवार, 6 फरवरी 2025 को शाम 6:00 बजे सीताबर्डी स्थित हिंदी मोर भवन के मधुरम सभागृह में संपन्न होगा।

कार्यक्रम में खास

यह संगीतमयी संध्या महान देशभक्त कवि और गीतकार कवि प्रदीप की कालजयी रचनाओं को समर्पित होगी, जिन्होंने अपने ओजस्वी, राष्ट्रभक्ति और मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण गीतों से जनमानस में चेतना का संचार किया। कार्यक्रम के दौरान कवि प्रदीप द्वारा रचित अमर गीतों की प्रस्तुति की जाएगी, जिसमें प्रमुख रूप से “ऐ मेरे वतन के लोगों”, “आओ बच्चो तुम्हें दिखायें झांकी हिंदुस्तान की”, “दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल”, “हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के” जैसे कालजयी गीतों का समावेश रहेगा।

कार्यक्रम की प्रमुख अतिथि मितुल प्रदीप (सुपुत्री कवि प्रदीप), मुंबई होंगी, वहीं श्रीमती राजश्री श्रीकांत जीचकार, नागपुर की विशेष उपस्थिति रहेगी। इस आयोजन की अध्यक्षता दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्री प्रकाश जी दुबे करेंगे।

अन्य विशिष्ट अतिथियों में पूर्व सांसद एवं कवि प्रदीप फाउंडेशन के अध्यक्ष अविनाश पांडे, राष्ट्रीय व्यापारी परिसंघ, नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष  बी. सी. भरतिया और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सागर खादीवाला शामिल होंगे।

संगीत संध्या में सुर-संगम की सुरभी ढोमने, सचिन ढोमने और उनके सह-कलाकार कवि प्रदीप के अमर गीतों की प्रस्तुति देंगे, जबकि इस संगीतमयी आयोजन के सूत्रधार डॉ. मनोज साल्पेकर होंगे।

कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क है और आयोजकों ने सभी साहित्य और कला प्रेमियों से इस भव्य संगीतमयी संध्या में सम्मिलित होने की अपील की है।

कवि प्रदीप : देशभक्ति और मानवीय मूल्यों के अमर गीतकार

कवि प्रदीप (जन्म: 6 फरवरी 1915, मृत्यु: 11 दिसंबर 1998) हिंदी सिनेमा और साहित्य जगत के एक ऐसे कवि और गीतकार थे, जिन्होंने अपने गीतों से स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारत के नव निर्माण तक, समाज में चेतना और देशभक्ति की भावना को प्रज्ज्वलित किया। उनका असली नाम रामचंद्र नारायण द्विवेदी था।

कवि प्रदीप ने 1930 के दशक में हिंदी सिनेमा में प्रवेश किया और जल्द ही अपनी राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कविताओं और गीतों के कारण लोकप्रिय हो गए। उनके लिखे गीतों में “ऐ मेरे वतन के लोगों” विशेष रूप से ऐतिहासिक महत्व रखता है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों को समर्पित यह गीत लता मंगेशकर द्वारा गाया गया और पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी भावविभोर कर दिया था।

उनके अन्य प्रसिद्ध गीतों में शामिल हैं :

“आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की” (फिल्म: जागृति, 1954)

“हम लाए हैं तूफान से कश्ती निकाल के” (फिल्म: जागृति, 1954)

“दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल” (फिल्म: जागृति, 1954)

“इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा” (फिल्म: पैगाम, 1959)

“देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान” (फिल्म: नागिन, 1954)

“पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोय” (फिल्म: नाज़, 1954)

“चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला” (फिल्म: समय, 1957)

कवि प्रदीप ने हमेशा अपने गीतों के माध्यम से समाज में सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया। उनकी लेखनी में देशभक्ति, नैतिकता, मानवीय संवेदनाएं और सामाजिक चेतना का गहरा प्रभाव दिखता है।

सम्मान और पुरस्कार

कवि प्रदीप को उनके अतुलनीय योगदान के लिए 1997 में भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान “दादा साहेब फाल्के पुरस्कार” से नवाजा गया।

उनकी लेखनी आज भी हर भारतीय के हृदय में जोश और प्रेरणा का संचार करती है। उनकी जयंती पर आयोजित यह संगीतमयी संध्या उनके अमर योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक सशक्त माध्यम बनेगी।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here