ऋषिकेश: श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने ऋषिकेश का जनसंपर्क कार्यालय बंद कर दिया था। तब भी इसको लेकर सवाल उठे थे। लेकिन, अब यह मामला कानूनी मोर्चे पर भी खुल गया है। मंदिर समिति को भूतिदान करने वाले भरत मंदिर ट्रस्ट ने मंदिर समिति को कानूनी नोटिस जारी कर दिया है। मंदिर समिति पर इसलिए भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि राजधानी देहरादून में मंदिर समिति के दो-दो कार्यालय चल रहे हैं। जबकि चारधाम यात्रा का संचालन ऋषिकेश से होता है।
भरत मंदिर ट्रस्ट के महंत वत्सल प्रपन्न शर्मा ने बताया कि ट्रस्ट ने मंदिर समिति को प्रचार-जनसंपर्क कार्यालय के लिए भूमि दान दी हुई है। उनका कहना है कि इसका उद्देश्य चारधाम यात्रा मुख्य शुरूआती स्थल तीर्थनगरी ऋषिकेश में तीर्थयात्रियों को यात्रा के लिए मार्गदर्शन करने और चार धाम का प्रचार प्रसार करने के लिए यह कार्यालय खोला गया था।
इसके लिए मंदिर समिति को कार्यालय को सभी तरह आनलाइन और ऑफलाइन सशक्त करना चाहिए न कि धार्मिक संस्थाओं के कार्यालयों को बंद करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि मंदिर समिति दानीदाता के संकल्प, तथा प्रयोजन के अनुसार कार्य नहीं करेगी तो ट्रस्ट यात्रियों की सेवा के लिए उस जमीन पर पुस्तकालय तथा यात्रियों को प्याऊ, विश्राम स्थल बनाये जाने को आगे आने को तैयार है। लेकिन, दान की भूमि का किसी स्तर पर मनमाफिक दुरपयोग नहीं होने दिया जायेगा। न ही भू प्रयोजन में किसी बदलाव को भरत मंदिर ट्रस्ट स्वीकार करेगा।
महंत वत्सल शर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं कि धार्मिक संस्थाएं अपने को सेवा भाव में जोड़े रखे न कि धनलालसा की होड़ में पुरातन धरोहरों और दान की भू विरासतों में अनावश्यक बदलाव करे। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट इसमें आम जनसमर्थन निष्पक्ष सेवा भाव से तीर्थयात्रियों के दीर्घकालिक हितों को संरक्षित रखेगा।
मंदिर समिति को प्रचार जनसंपर्क कार्यालय बंद करने के विरूद्ध कानूनी नोटिस दिये जाने पर डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष विनोद डिमरी, केदार सभा के नव निर्वाचित अध्यक्ष राजकुमार तिवारी, तीर्थ पुरोहित समिति अध्यक्ष विनय सारस्वत, मंदिर समिति के पूर्व सदस्य हरीश डिमरी, मंदिर समिति पूर्व सदस्य दिनकर बाबुलकर समेत अन्य लोगों ने मंदिर समिति को कानूनी नोटिस दिये जाने का स्वागत किया है। कहा है कि मंदिर समिति को अपने निर्णय को तत्काल वापस लेना चाहिए।
लोग यह भी चर्चा कर रहे हैं कि कहीं मंदिर समिति पंजीकरण और प्रचार का जिम्मा निजी हाथों में सौंपने की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं। बड़ा सवाल यह भी है कि मंदिर समिति की पूर्व की बैठकों में यह प्रस्ताव भी लाए गए थे कि सभी महानगरों में मंदिर समिति के कार्यालय खोले जाएंगे, लेकिन मंदिर समिति उन कार्यालयों को भी बंद कर रही है, जो पहले से खोले गए हैं और कार्यालय के लिए भूमि दान की गई थी। मंदिर समिति के इस फैसले के बाद लोग भूमि दान देने से भी कराएंगे।