देहरादून: हाकम सिंह रावत। भाजपा का जिला पंचायत सदस्य। जब से उत्तराखंड अधीनस्त चयन सेवा आयोग में पेपर लीक का मामला सामने आया है, तब से ही यह नाम चर्चाओं में है। पेपर लीक कांड का मुख्य सरगना इसे ही माना जा रहा है। हालांकि, इस मामले में जांच अभी चल रही है। हाकम सिंह को एसटीएफ सलाखों के पीछे से रिमांउ पर बाहर लगाकर फिर से पूछताछ की तैयारी में है। पूछताछ के बाद कुछ बड़े खुलासे हो सकते हैं। इन खुलासों में क्या निकलकर आता है, उसका इंतारी सभी को है।
लेकिन, एक बात साफ है कि अब तक जो बातें चर्चाओं में हैं, उनके अनुसार हाकम केवल नेताओं का चेहता नहीं, बल्कि उत्तराखंड के कई आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारियों का भी खास रहा है। उनमें उत्तराखंड पुलिस के मुखिया भी शामिल हैं। सोशल मीडिया में उनके तमाम फोटो वायरल हैं।
अब सवाल यह है कि क्या भाजपा और सरकार इस मामले में उतनी ही सख्ती बरत पाएंगे, जितनी अब तक बरती गई है। सरकार की ढिलाई का नमूना यह है कि इस मामले जिन दो अपर निजी सचीवों को पिछले दिनों गिरफ्तार किया गया था। उनको अब तक स्सपेंड तक नहीं किया गया है। जबकि, बाद में अरेस्ट हुए शिक्षक को शिक्षा विभाग ने सस्पेंड कर दिया है।
हाकम के भी कई चौंकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं। एक डीएम के घर में वर्तन मांजने वाले हाकम की विदेशों तक संपत्ति बताई जा रही है। खुद को किंग ऑफ जखोल कहने वाले हाकम सिंह का एक आलिशान रिसॉर्ट है, जिसकी कीमत करीब 10 करोड़ बताई जा रही है। जबकि, एक और कंकरीट का होटल भी उसने वहां खड़ा किया है।
सवाल यह कि उसने पहले कितनी भर्तियों में गड़बड़ी की? कितने लोग गलत तरीके से नौकरी लग चुके हैं? कितनी संपत्ति हाकम ने गलत कामों के जरिए बनाई? इन तमात बातों को लेकर सरकार और एसटीएफ क्या प्लान कर रही है? क्या पिछले मामलों की भी जांच होगी या नहीं? अदरअसल, यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि फिलहाल एसटीएफ की जांच मौजूदा भर्ती पर ही केंद्रित है।