उत्तराखंड: स्मार्ट तरीके से कर रहे थे टैक्स चोरी, फिर भी बच नहीं पाए दून के बड़े बिजनेसमैन

0
110
  • स्मार्ट तरीके से कर रहे थे टैक्स चोरी.

  • फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ETC) हासिल कर सरकार को चूना लगाया था.

देहरादून: टैक्स चोरी के मामले बड़ी संख्या में सामने आते रहते हैं। समय-समय पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और कर विभाग लगातार छापेमारी और सर्वे की कार्रवाई करता रहता है। कई मामलों में बड़े खुलासे भी सामने आते हैं। ऐसा ही एक मामला राजधानी देहरादून में सामने आया है। स्मार्ट सिटी का काम करा रहा ठेकेदार जीएसटी की चोरी कर रहा था। जांच के बाद सबकुछ साफ हो गया है।

हर्रावाला स्थित इंडस्ट्रीज और स्मार्ट सिटी के कॉन्ट्रेक्टर ने फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ETC) हासिल कर सरकार को चूना लगाया था। राज्य कर विभाग की विशेष अनुसंधान शाखा दून की दो टीमों ने दोनों के ठिकानों पर छापेमारी कर पूरे मामले का खुलासा कर दिया। दोनों ने करीब डेढ़ करोड़ की कर चोरी की थी।

हर्रावाला स्थित हैंडीक्राफ्ट और वुड का कांटेक्ट कार्य करने वाली फैक्ट्री से जुड़ा है। कर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जांच में पाया गया कि व्यापारी अपना पूरा टैक्स जमा नहीं कर रहे थे। आईटीसी का गलत तरीके से फायदा उठा रहे थे। फैक्ट्री परिसर से अभिलेख जब्त किए गए, जिनमें रिवर्स चार्ज की करदेयता भी छिपाने की बात सामने आई है।

लग्जरी कारों की खरीद, विदेश यात्रा और कई दूसरी सेवाओं पर दिए गए टैक्स का लाभ आईटीसी के रूप में नहीं मिलता है, लेकिन व्यापारी ने इसका लाभ उठाया। नियमानुसार माल मंगाने और भेजने में अगर भाड़े पर ट्रांसपोर्टर टैक्स नहीं दिया जा रहा है तो, टैक्स देने का दायित्व भाड़ा चुकाने वाले यानी माल भेजने या पाने वाले का होता है, जिसे ‘रिवर्स चार्ज पर कर अदायगी कहा जाता है। व्यापारी भाड़े पर रिवर्स चार्ज पर पूरा टैक्स अदा नहीं कर रहे थे।

दूसरा मामला स्मार्ट सिटी और वर्ल्ड बैंक परियोजना के ठेकेदार का है। यह फर्म पाइप लाइन बिछाने का काम करती है। ठेकेदार के ठिकानों पर गलत आईटीसी लिए जाने और कम टैक्स अदा करने के प्रकरण में छापेमारी की गई। यहां करीब 25 से 30 लाख की गड़बड़ी पकड़ी गई। कर विभाग की उचित टैक्स अदा नहीं करने वालों पर पैनी नजर है।