देहरादून: केदारनाथ धाम में रोपवे का सपना PM मोदी ने देखा था। उन्होंने अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट का ऐलान भी केदारनाथ धाम में किया था। अब PM मोदी के इस प्रोजेक्ट को जिस मंजूरी की जरूरत थी। वह मिल गई है। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ रोपवे के निर्माण पर मुहर लगा दी है।
सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए करीब 13 किलोमीटर लंबे रोपवे बनाने की योजना है। इस रोपवे के बनने के बाद केदारनाथ धाम तक की दूरी 30 मिनट में पूरी हो सकेगी। इससे पैदल चलने के असमर्थ लोगों को बड़ी रावह मिलेगी। साथ ही महंगी हवाई यात्रा से भी राहत मिलेगी। इसके अलावा बोर्ड बैठक में रामबाड़ा से गरुड़चट्टी में लगभग साढ़े पांच किलोमीटर पैदल मार्ग के नव निर्माण की भी अनुमति मिली है।
केदारनाथ धाम के लिए सोनप्रयाग से करीब 18 से 20 किलोमीटर की पैदल दूरी है। इसे तय करने में यात्रियों को लगभग 8 घंटे का समय लगता है। रोपवे बनने से यह दूरी 30 मिनट में पूरी हो जाएगी। यह क्षेत्र केदारनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के तहत आता है।
प्रमुख सचिव (वन) आरके सुधांशु के मुताबिक हेमकुंड साहिब रोपवे के लिए बोर्ड की अनुमति की जरूरत नहीं है। इसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पहले ही स्वीकृति दे रखी है। बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें दोबारा स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं समझी गई।
प्रमुख सचिव के मुताबिक दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे निर्माण की अनुमति मिली है। गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक बनने वाले रोपवे के लिए एनवायरमेंट क्लियरेंस की आवश्यकता नहीं है।
हालांकि राज्य वन विभाग से इसकी अनुमति लेनी होगी। इसके बाद ही लगभग 12 किलोमीटर के इस रोप-वे का निर्माण शुरू हो सकेगा। प्रमुख सचिव वन के मुताबिक केदारनाथ में पुराने पैदल मार्ग के पुननिर्माण में .983 हेक्टेयर वन भूमि आ रही है।
वन भूमि हस्तांतरण को बोर्ड बैठक में मंजूरी मिली है। केदारनाथ धाम रोपवे के निर्माण में 1200 करोड़ व हेमकुंड साहिब से गोविंदघाट के लिए 850 करोड़ रुपये की लागत आएगी। एनएचएआई की एजेंसी नेशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड ने दोनो रोपवे की डीपीआर तैयार की है।