उत्तराखंड मुख्यमंत्री हरीश रावत को ज्ञापन सौंपने गए संगठन के पदाधिकारियों को सीएम के तल्ख तेवरों का सामना करना पड़ा। ज्ञापन में उठाए गए मुद्दों को लेकर सीएम ने कड़ी नाराजगी जताते हुए यहां तक कह डाला कि मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दें दूं।
इतना ही नहीं उन्होंने यह तक कह दिया कि संगठन पदाधिकारी चाहें तो उन्हें हटाने को लेकर आला कमान से भी बात कर सकते हैं। सीएम के तल्ख तेवर देख जहां कई पदाधिकारियों ने चुप्पी साध ली, वहीं कई पदाधिकारियों के तुरंत सुर बदल गए।
सीएम रावत ने कहा कि हम तो समझ रहे थे कि आप सब स्वतंत्रता दिवस पर सरकार की ओर से घोषित तमाम कल्याणकारी योजनाओं को लेकर बधाई देने आए हैं, लेकिन आप सब तो अपनी ही सरकार के खिलाफ ही नजर आ रहे हैं। ज्ञापन में जो मांग की गई यदि उन सबकी जांच करा ली जाए तो अपनी सरकार पर भी अंगुलियां उठेंगी।
सूत्रों की मानें तो सीएम रावत ने यहां तक डाला कि जो काम विपक्षी भाजपा को करना चाहिए, वह काम अपनी ही पार्टी कर रही है। सीएम रावत ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि ‘आप सब कहे तो मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दूं या फिर आप सब लोग आलाकमान से वार्ता कर लें।’
सूत्रों की मानें तो सीएम रावत के इस रुख से प्रतिनिधिमंडल में शामिल कई पदाधिकारी अपनी सफाई पेश करने लगे। कई पदाधिकारियों ने कहा कि उन्हें तो पता ही नहीं था कि आपसे किसलिए मुलाकात की जा रही है।
बहरहाल सीएम रावत ने पार्टी प्रतिनिधिमंडल की ओर से दिए गए ज्ञापन को रख तो लिया लेकिन तमाम मांगों पर कार्रवाई होती है या नहीं? यह देखने वाली बात होगी।
सरकार और संगठन के बीच इस तरह के मतभेद उभरकर पहली बार सामने आए हैं ऐसा भी नहीं है। राज्यसभा चुनाव से लेकर आज तक तमाम मुद्दों पर सरकार, संगठन के बीच तकरार सामने आई है।
मामला केंद्रीय आलाकमान तक भी पहुंचा। पिछले दिनों कांग्रेस के प्रदेश सह प्रभारी संजय कपूर ने सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ बैठक कर संबंधों को ठीक करने की कोशिश की।