उत्तराखंड: भाजपा-कांग्रेस के बीच तिरंगे के लिए होड़, वोट की राजनीति या फिर…

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देहरादून: देश की आन-बार और शान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को लेकर भाजपा-कांग्रेस आमने-सामने हैं। जहां भाजपा हर घर तिरंगा यात्रा निकाल रही है। वहीं, कांग्रेस ने भी भारत जोड़ो तिरंगा यात्रा का ऐलान कर दिया है। दोनों ही यात्राएं राष्ट्रीय ध्वज पर आकर अटक गई हैं। अब देखना होगा कि किसकी तिरंगा यात्रा से किसको क्या हासिल होता है। दरअसल, दोनों ही राजनतिक दलों को तिरंगे के सम्मान से कहीं अधिक वोटों की चिंता है।

भाजपा का कहना है कि आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है। तिरंगे के सम्मान और देश को एकजुट करने के लिए यह खास अभियान चलाया गया है। इस अभियान के तहत देशभर में लोगों से अपने घरों पर तिरंगा फहराने की अपील की गई है। यह कोई अचानक चलाया गया कार्यक्रम नहीं है। जानकारों की मानें तो इसके लिए भाजपा लंबे वक्त से तैयारी कर रही थी और इसी तैयारी के अनुरूप झंडा संहिता में बदलाव भी किया गया।

दूसरी ओर कांग्रेस भी पहले यह ऐलान कर चुकी थी कि देशभर में भारत जोड़ो यात्रा निकाली जाएगी, लेकिन अब उस यात्रा को भारत जोड़ो तिरंगा यात्रा नाम दे दिया गया है। कांग्रेस उत्तराखंउ में भी इस यात्रा की शुरूआत करने जा रही है। कांग्रेस की यात्रा 9 और 10 अगस्त रुद्रप्रयाग विधानसभा क्षेत्र और 13-14 अगस्त को केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में पदयात्रा कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और स्वतंत्रता आंदोलन की याद ताजा करेंगे। 15 अगस्त यात्रा का समापन स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण स्थल ककोड़ाखाल में होगा।

टिहरी में 9 अगस्त को प्रतापनगर से देवप्रयाग संगम तक पदयात्रा निकाली जाएगी। 10 को चमियाला बाजार से घनसाली और संगम विहार चौरास से कीर्तिनगर होते हुए मलेथा, 12 को नई टिहरी सुमन पार्क से चंबा गबर सिंह चौक, 13 को सत्यों बाजार से पुजार गांव और गजा से नरेंद्रनगर, 14 अगस्त को धनोल्टी से थत्यूड़ और ढालवाला से मुनिकीरेती तक पदयात्रा निकाली जाएगी।

15 अगस्त को स्वाधीनता दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। पौड़ी में पदयात्रा 9 अगस्त को पौड़ी और 10 को पैडुल, अगरोड़ा, परसुंडाखाल, 13 को कोट, 14 को कल्जीखाल व 15 को मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम के साथ पदयात्रा संपन्न होगी।

बड़ा सवाल यह है कि इस तरह की यात्राओं से तिरंगे को कितना सम्मान मिलेगा? क्या राजनीतिक दलों को यह लगता है कि लोगों के दिलों में तिरंगे का सम्मान कम हो गया है। बलिक, इस दौरान अभी से कई जगहों पर तिरंगे के साथ दूसरे तरह के झंडे भी लोग फराने लगे हैं। कितने लोग झंडा संहिता के बारे में जानते होंगे। राजनीति दल केवल और केवल वोटों के लिए राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के नाम राजनीति कर रहे हैं।