शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सरकार को ऐसे मामले कोर्ट में आने का मौका देना ही नहीं चाहिए। बता दें कि उपभोक्ता फोरम में बहुत सारे पद खाली पड़े हैं। जिसकी भर्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट में लगातार याचिका दायर की जा रही हैं। जिसमें से एक की सुनवाई के दौरान आज कोर्ट ने केंद्र सरकार पर गुस्सा जाहिर किया। कोर्ट ने कहा कि “ये कोई अच्छी स्थिति नहीं है कि खाली पदों पर भर्ती को लेकर भी कोर्ट को ही दखल देना पड़े। अगर सरकार ट्राइब्यूनल्स और उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग जैसे अहम संस्थानों को नियमानुसार नहीं चलाना चाहती तो उन्हें खत्म ही कर देफिर तो सरकार को ट्राइब्यूनल्स एक्ट ही खत्म कर देना चाहिए।”
बता दें कि इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ कर रही थी। जिसमें जस्टिस ने इस मामले में सरकार की उदासीनता और मनमानी से खिन्न होकर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने इस मामले में नाराजगी जताते हुए कहा कि “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट को सरकार से इस खाली पदों पर समय से भर्तियों और अन्य व्यवस्थाओं की बाबत बार बार कहना पड़ रहा है। हमारी ऊर्जा तो अपने न्यायक्षेत्र को इन ट्राइब्यूनल में खाली जगहों का पता लगाने और भर्ती के इंतजाम करने में ही खप जाती है।”
कोर्ट ने आगे कहा कि “कोर्ट तक लोग खाली पदों को भरने के आदेश देने की अर्जी लेकर आते हैं, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। राज्य और जिला स्तरीय उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग और समितियों में बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों पर भर्ती न होने से लोग परेशान हैं। वर्षों से लंबित अर्जियां यूं ही पड़ी हैं, लेकिन सरकारें निश्चिंत हैं।” सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि “मद्रास बार एसोसिएशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का खुले आम उल्लंघन करते हुए केंद्र सरकार ये सब कर रही है।”